अपनी आँखों को समझाओ जान न जाए दुनियाँ सारी
बैन - नैन से नैन न करे जल जाएगी दुनियाँ सारी।
भीग रहे हम तुम पावस में चकित अचंभित है जग सारा
घर - बाहर बरखा छाई पर जल जाए जग प्यार का मारा।
पूँजी परम प्रेम की प्रियतम जग - बैरी से रखो बचाकर
मानव - जीवन होता सार्थक प्रेम - रूप पारस को पाकर।
नयन - गिरा की गरिमा अद्भुत शब्दों पर भारी पड़ती है
जब -जब वह चुप चुप दिखती है अनगिन प्रेम कथा गढ़ती है।
ग्रन्थ सभी हैं मुखरित होते तेरे नयनों की बानी में
नख से सिख तक भर देते हैं राग प्रणय के हर प्राणी में।
नयन हैं छोटे भाव बड़े हैं गुरु लघु में किस तरह समाये
चपल चंचला चुप न रहे वह छलक छलक सब कुछ कह जाये।
कहना कितना कठिन और चुप रहना उससे भी भारी है
इसीलिए अनकहे - बैन की आख्या सबसे न्यारी है।
तुम हो चुप अँखियाँ कहती हैं जो शब्दों से कहा न जाये
बस इतनी सी बात समझ ले बिन तेरे अब जिया न जाये।
नयन नयन की भाषा पढ़ ले कैसी अद्भुत बात निराली
इन्द्रधनुष उतरा अँखियों में मुख पलाश की बन गई लाली।
लाज- भरे अधमुंदे नयन ने सतसई कह दी दृष्टि झुकाकर
शब्दों से अनछुए रह गए भाव नयन की पोथी पा कर।
लिखा हुआ हर एक भाव है मंत्र सदृश मेरे जीवन में
तू है दूर बहुत मुझसे पर हर पल बसता मेरे मन में।
आकर्षण है अजब नयन में मौन निमंत्रण देते हर क्षण
युगों -युगों तक भटके मन को आश्रय देते हैं क्षण प्रतिक्षण।
दृष्टि अनूठी तेरी प्रियतम कह जाती अनगिन- आख्यान
चुप -चुप दिखती है पर सबको परिणय का करती आह्वान।
अद्भुत अनुपम नयना जिसमें काम - राम दोनों हैं बसते
एक - दूसरे के पूरक हम यही रहस्य मनुज से कहते।
पुरुषार्थ चार होते हैं भाई नयन तुम्हारे कहते हैं
धर्म - अर्थ और काम - मोक्ष से हम नर -तन को गढ़ते हैं।
शकुन्तला शर्मा ,भिलाई [छ ग ]
बैन - नैन से नैन न करे जल जाएगी दुनियाँ सारी।
भीग रहे हम तुम पावस में चकित अचंभित है जग सारा
घर - बाहर बरखा छाई पर जल जाए जग प्यार का मारा।
पूँजी परम प्रेम की प्रियतम जग - बैरी से रखो बचाकर
मानव - जीवन होता सार्थक प्रेम - रूप पारस को पाकर।
नयन - गिरा की गरिमा अद्भुत शब्दों पर भारी पड़ती है
जब -जब वह चुप चुप दिखती है अनगिन प्रेम कथा गढ़ती है।
ग्रन्थ सभी हैं मुखरित होते तेरे नयनों की बानी में
नख से सिख तक भर देते हैं राग प्रणय के हर प्राणी में।
नयन हैं छोटे भाव बड़े हैं गुरु लघु में किस तरह समाये
चपल चंचला चुप न रहे वह छलक छलक सब कुछ कह जाये।
कहना कितना कठिन और चुप रहना उससे भी भारी है
इसीलिए अनकहे - बैन की आख्या सबसे न्यारी है।
तुम हो चुप अँखियाँ कहती हैं जो शब्दों से कहा न जाये
बस इतनी सी बात समझ ले बिन तेरे अब जिया न जाये।
नयन नयन की भाषा पढ़ ले कैसी अद्भुत बात निराली
इन्द्रधनुष उतरा अँखियों में मुख पलाश की बन गई लाली।
लाज- भरे अधमुंदे नयन ने सतसई कह दी दृष्टि झुकाकर
शब्दों से अनछुए रह गए भाव नयन की पोथी पा कर।
लिखा हुआ हर एक भाव है मंत्र सदृश मेरे जीवन में
तू है दूर बहुत मुझसे पर हर पल बसता मेरे मन में।
आकर्षण है अजब नयन में मौन निमंत्रण देते हर क्षण
युगों -युगों तक भटके मन को आश्रय देते हैं क्षण प्रतिक्षण।
दृष्टि अनूठी तेरी प्रियतम कह जाती अनगिन- आख्यान
चुप -चुप दिखती है पर सबको परिणय का करती आह्वान।
अद्भुत अनुपम नयना जिसमें काम - राम दोनों हैं बसते
एक - दूसरे के पूरक हम यही रहस्य मनुज से कहते।
पुरुषार्थ चार होते हैं भाई नयन तुम्हारे कहते हैं
धर्म - अर्थ और काम - मोक्ष से हम नर -तन को गढ़ते हैं।
शकुन्तला शर्मा ,भिलाई [छ ग ]
सुन्दर बातें सिखाती श्लोकों की भाषा..
ReplyDeleteजीवन की सच्ची अनुभूति----
ReplyDeleteबहुत सुंदर
आकर्षण है अजब नयन में मौन निमंत्रण देते हर क्षण
ReplyDeleteयुगों -युगों तक भटके मन को आश्रय देते हैं क्षण प्रतिक्षण।
कान्हा के नैन यही तो कहते हैं..
नयन नयन की भाषा पढ़ ले कैसी अद्भुत बात निराली
ReplyDeleteइन्द्रधनुष उतरा अँखियों में मुख पलाश की बन गई लाली।
नयनों की भाषा निराली
वाह!
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