Thursday 27 August 2015

हाइकू

   एक
इरा ने पाया
आई ए एस वन
सबको भाया ।

    दो
कुसुमकली
देख नहीं सकती
कुसुम - कली ।

  तीन
अँधी - भैरवी
सुन्दर गाती है
राग - भैरवी ।

   चार
सूरदास है
मन से देखने का
एहसास है ।

   पॉच
अँधा है पर
तोडता है पत्थर
सडक - पर ।

    छः
रानी है नाम
लंगडी है लेकिन
करती - काम ।

   सात
गूँगी है गंगा
बरतन धोती है
मन है चँगा ।

  आठ
काना - कुमार
झूम - झूम गाता है
मेघ - मल्हार ।

    नव
बहरा - राम
दिन भर करता
बढई - काम ।

    दस
अंधी है माला
अंधों को पढाती है
माला है शाला ।

  ग्यारह
लँगडा - मान
किसानी करता है
नेक - इंसान ।

  बारह
बहरा - राम
टोकनी बनाता है
कहॉ - आराम ?   



9 comments:

  1. बहुत भावपूर्ण हाइकू !

    ReplyDelete
  2. राजेन्द्र जी ! सादर आभार ।

    ReplyDelete
  3. सूरदास है
    मन से देखने का
    एहसास है ।
    एक से बढ़कर एक हाइकु ! और ये तो बहुत ही बढ़िया आदरणीय शकुंतला जी

    ReplyDelete
  4. हाइकू लिखना मुझे अब तक नहीं आया...बहुत अच्छा लिखा है अपने।

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर और सार्थक हाइकु....

    ReplyDelete
  6. बहुत सुन्दर हाइकू, लिखते हो दी आप।
    गूँगी गंगा देखलो, करते रामे जाप।।

    दीदी आपके हाइकू बहुत ही सार्थक और बहुत ही सुन्दर प्रेरक

    ReplyDelete
  7. Haikoo likhane me koi mukabala nahi hai aapaka. kaushik
    Ganesh

    ReplyDelete
  8. आप लोगों की प्रतिक्रिया मुझे संबल देती है । बहुत - बहुत धन्यवाद,आभार ।

    ReplyDelete