घर - भर में सन्नाटा - छाया कानी - खोरी- छोरी जन्मी है
मॉ की छाती - पर पत्थर है उसके मुँह में जमा - दही है ।
ढेली उसका - नाम पड - गया पहली - कक्षा में आई है
वैद - विदुषी है उसकी मॉ अपनी - मॉ की परछाईं है ।
मोती - जैसे सुन्दर - अक्षर हैं वह पढने में होशियार है
मन में पीडा अनुभव - करती कडुवे सच पर वह सवार है ।
दृष्टि - कोण है निरा - निराला वह स्वभाव से ही खोजी है
कौतूहल है मन में इतना वह अद्वितीय है जो भी है ।
रात के पीछे दिन आता है दिन के पीछे आती है रात
एक - एक दिन करते - करते बीत गई कितनी बरसात ।
ढेली अब - कॉलेज़ में पढती है बायो की वह - विद्यार्थी है
कुछ कुछ नया खोजती रहती अन्वेषण की अभिलाषी है ।
मॉ के संग संग लगी है ढेली वह औषधि-शोधन करती है
बरसों से वह लगी हुई है कुछ - प्रयोग करती - रहती है ।
एक - अनार के पौधे - पर वह डाल - रही है औषधि - एक
जिससे - पौधा थोडे - दिन में देगा - बडे - अनार - अनेक ।
मॉ की छाती - पर पत्थर है उसके मुँह में जमा - दही है ।
ढेली उसका - नाम पड - गया पहली - कक्षा में आई है
वैद - विदुषी है उसकी मॉ अपनी - मॉ की परछाईं है ।
मोती - जैसे सुन्दर - अक्षर हैं वह पढने में होशियार है
मन में पीडा अनुभव - करती कडुवे सच पर वह सवार है ।
दृष्टि - कोण है निरा - निराला वह स्वभाव से ही खोजी है
कौतूहल है मन में इतना वह अद्वितीय है जो भी है ।
रात के पीछे दिन आता है दिन के पीछे आती है रात
एक - एक दिन करते - करते बीत गई कितनी बरसात ।
ढेली अब - कॉलेज़ में पढती है बायो की वह - विद्यार्थी है
कुछ कुछ नया खोजती रहती अन्वेषण की अभिलाषी है ।
मॉ के संग संग लगी है ढेली वह औषधि-शोधन करती है
बरसों से वह लगी हुई है कुछ - प्रयोग करती - रहती है ।
एक - अनार के पौधे - पर वह डाल - रही है औषधि - एक
जिससे - पौधा थोडे - दिन में देगा - बडे - अनार - अनेक ।
प्रेरणादायक...भावपूर्ण...
ReplyDeleteआओ हम सब एक हो, सत्य सरलता प्रेम।
ReplyDeleteजीवन को पहचान लो, कर्म धर्म को हेम।।
बहुत सुन्दर दीदी