रोला छंद - 11/ 13
नटवर - नागर - नँद, आज हमरो - घर आबे
नानुक हावय काम, कहूँ - बोचक झन जाबे।
नइ आबे तव देख, तोर मयँ चुगली करिहवँ
तयँ अस माखनचोर, तोर दायी ला कइहवँ।
सुन तो नटवर - आज, रास मा सब्बो रइहीं
तयँ हर बनबे श्याम, शकुन हर गोपी बनही।
मुरली - धर तयँ आज, छोड के मुरली आबे
गरगस लागय बोल, होंठ मा झनिच लगाबे।
होरी मा सुन - श्याम, मारबे झन पिचकारी
लुगरा के बड दाम, अबड - कन देहीं - गारी।
कुमकुम बढिया - रँग, लगा दे नटवर रोरी
मन मा भरे - उमँग, मना लेतेन - हम होरी।
सुरता आथे रास, अबड सुख लागिस मोला
बाजिस अनहद नाद, शकुन के तरगे चोला।
तहीं - सच्चिदानँद, भाग ले पा - गयँ तोला
पाहवँ - परमानँद, शरण मा ले - ले मोला ।
शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ
नटवर - नागर - नँद, आज हमरो - घर आबे
नानुक हावय काम, कहूँ - बोचक झन जाबे।
नइ आबे तव देख, तोर मयँ चुगली करिहवँ
तयँ अस माखनचोर, तोर दायी ला कइहवँ।
सुन तो नटवर - आज, रास मा सब्बो रइहीं
तयँ हर बनबे श्याम, शकुन हर गोपी बनही।
मुरली - धर तयँ आज, छोड के मुरली आबे
गरगस लागय बोल, होंठ मा झनिच लगाबे।
होरी मा सुन - श्याम, मारबे झन पिचकारी
लुगरा के बड दाम, अबड - कन देहीं - गारी।
कुमकुम बढिया - रँग, लगा दे नटवर रोरी
मन मा भरे - उमँग, मना लेतेन - हम होरी।
सुरता आथे रास, अबड सुख लागिस मोला
बाजिस अनहद नाद, शकुन के तरगे चोला।
तहीं - सच्चिदानँद, भाग ले पा - गयँ तोला
पाहवँ - परमानँद, शरण मा ले - ले मोला ।
शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ