Wednesday, 8 April 2020

परिचय


·      परिचय पत्र
नाम - शकुन्तला शर्मा 
जन्म - कोसला , जिला - जॉजगीर - चॉपा छ. ग.
शिक्षा - एम. ए. [ संस्कृत                   - हिन्दी ] बी. एड. सिद्धान्तालंकार,              विद्यावाचस्पति [ मानद ] 
रचना - धर्मिता- 1962 में " भारतवर्ष हमारा है " शीर्षक से पहली कविता लिखी । 
1964 से स्फुट - कवितायें , यत्र - तत्र , विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशित । 


·      छत्तीसगढी 

1-' चंदा के छॉव म” [ कविता - संग्रह ] बारह - मासा एवम् अष्टॉग - योग की छन्द - बद्ध , फड । 
2-' कोसला' [- [कविता संग्रह ] कौशल्या की जन्म - भूमि कोसला, छत्तीसगढ में राम, शबरी  वर्णन। 
3- 'करगा' [   [लघु कथा संग्रह ] 
4- ' बूड मरय नहकौनी दय [' गज़ल – संग्रह] 
5- ' चन्दन - कस तोर माटी हे  [' [ लोक - धुन पर आधारित - गीत ] 
6 - ' कुमारसम्भव  [  ' [ महाकाव्य  ] 
7- 'छंद के छटा[ ' - छंद रचना ]
8 - 'कौशल्या के कोसला[ '' छत्तीसगढ़ी महाकाव्य]

·      हिन्दी 

1-' ढाई – आखर ['[ कविता - संग्रह ] 
2- ' लय [' [ गीत - संग्रह ] षड - ऋतु - वर्णन , चारों - वेदों का संक्षिप्त - परिचय । 
3- 'संप्रेषण [' [ गीत - संग्रह ] ईश , केन , कठ , प्रश्न , मुण्डक , माण्डूक्य एवम्  ऐतरेयोपनिषद् का पद्यात्मक - वर्णन।
4 - ' इदं न मम'           [         [ निबंध - संग्रह ] 
5 - ' भारत - स्वाभिमान [' [ महाकाव्य ] 
6- ' बेटी - बचाओ[' [ विकलॉग - विमर्श ' - आख्यान - गीत ] 

·      अनुवाद 

1 - 'शाकुन्तल [' कालिदास के ' अभिज्ञान शाकुन्तलम् ' का भाव – पद्यानुवाद] 
2 - ' कठोपनिषद् [' प्रत्येक मन्त्र की छन्द - बद्ध - व्याख्या ]
3- ' रघुवंश  महाकाव्य  [कालिदास के 'रघुवंश' महाकाव्य का भाव - पद्यानुवाद ]
4- ' चाणक्य - नीति [' [ भाव - पद्यानुवाद , हिन्दी , छत्तीसगढी ] 
5 - ' विदुर - नीति [' [ भाव - पद्यानुवाद , हिन्दी , छत्तीसगढी ] 
6 - ' ऋग्वेद ' नवम एवं दशम मण्डलम् [ भाव - पद्यानुवाद , हिन्दी ] 
7 - 'ऋग्वेद'                           सप्तम एवं अष्टम मण्डलम् [ भाव - पद्यानुवाद - हिन्दी] 


अलंकरण - सम्मान 

1.    1 राजभाषा प्रशस्ति - पत्र [ स्टील अथॉरिटी ऑफ इन्डिया लिमिटेड। ] 
2.    2 - गीत - विधा के लिए - कुँवर वीरेन्द्र सिंह सम्मान । 
3.    3 - ताज़ - मुगलिनी सम्मान । 
4.    4 - भारती - रत्न अलंकरण । 
5.    5 - पं. माधव राव सप्रे साहित्य - सम्मान । 
6.    6 - दीपाक्षर - सम्मान । 
7.    7 - रोटरी क्लब द्वारा शिक्षक - सम्मान । 
8.    8 - द्विज - कुल गौरव अलंकरण । 
9.    9 -आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय - सम्मान।
10.10- अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन में छत्तीसगढी हेतु विशिष्ठ - सम्मान । 
11.11- प्रशस्ति - पत्र [ छत्तीसगढ राजभाषा आयोग ]। 
12.12- त्रिवेणी साहित्य - सम्मान । 
13.13- प्रशस्ति-पत्र , न्यूज़ - पेपर्स एन्ड मैंगज़ीन्स फेडरेशन ऑफ इन्डिया। 
14.14 - श्री लंका में            Sanghmitra Of  The  Age '  ' अलंकरण । 
15.15- थाईलैंड में   ' The Blessed Juno '  '\ अलंकरण । 
16.16- मलेशिया में   ' Lady Of  The Age '   '   से सम्मानित । 
17.17- सेंट पीटर्सबर्ग में ‘Minerva of the East’ से अलंकृत। 
18.18- मॉरीशस में Pride of India’       अलंकार से विभूषित। 
19.19-"छत्तीसगढ़ संस्कृत मण्डलम् "द्वारा" माता कौल्या सम्मान से अलंकृत।
20.20 -राष्ट्रीय कवि संगम में  "राष्ट्रकवि दिनकर सम्मान " से विभूषित ।
21.21- अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन में, साहित्य रचना हेतु सम्मानित।
22.22- कर्नाटक विश्व विद्यालय में "प्रमाण " विषय पर संस्कृत भाषा में, आलेख पठन ।
23.23 - ओडिशा के राजा खरियार के राजमहल में, महारानी राजश्री के कर - कमलों से सम्मानित|
24.24 - महिला दिवस के अवसर पर, "हरिभूमि" अखबार की ओर से सम्मानित।
25.25 - छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा सम्मानित।
26.26 - हाँगकाँग-मकाऊ साहित्य महोत्सव में "विश्व शिखर सम्मान-से अलंकृत। 
2727 - "संस्कृत भाषा सम्मान" छत्तीसगढ़ शासन से विभूषित,          महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद द्वारा पदत्त।


28.28 - "वदान्या साहित्य सम्मान - 2018" से विभूषित।




    सम्प्रति 

1- संपादक ' सरयू - द्विज ' छत्तीसगढ । 
2- देश - विदेश में काव्य - पाठ द्वारा जन - जागरण । 
3- विकलॉग - चेतना हेतु साहित्य - सृजन । राष्ट्रीय एवम् अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भागीदारी । 

·     
   सम्पर्क 
288 / 7 मैत्रीकुँज , भिलाई , दुर्ग [ छ. ग. ] 
मो. 93028 30030 
ई- मेल - mailtoshakun@gmail.com 
ब्लॉग - shaakuntalam.blogspot.in , gurmatiya.blogspot.in 
शकुन्तला शर्मा , भिलाई [ छ. ग. ]




Monday, 4 March 2019


जयकरी छंद - 15/ 15 - गुरु - लघु

देश-  हमारा हिन्दुस्तान, सदियों से है यही महान
देश - धर्म का करते गान, देश हेतु हाज़िर है जान।

जननी जन्मभूमि वरदान, यह है सद्भावों की खान
हम सब हैं इसकी संतान, हिंदू मुसलमान दें ध्यान।

गंग - जमुन की पावन धार, वैतरणी कर लेते - पार
घाटी में है रूप - अपार, केशर की खुशबू - भरमार।

प्रेम रूप में अद्भुत - ताज, करता दुनियाँ भर में राज
भोरमदेव में होता आज, कामदेव का कामुक काज।

काश्मीर में फैली - आग,  बना पडोसी ही खुद नाग
गाता रहता है वह राग, बिगड गया है उसका पाग।

यह - धरती मेरा - परिवार, लडने में दोनों - की हार
समझाते - हम बारम्बार, फिर उसको पडती है मार।

तीजन का पांचाली गान, बडा लोक - प्रिय है अभियान
कई - किस्म के होते धान, हमको है इस पर अभिमान।

शिव के जल तरंग की तान, सुनती है दुनियाँ अनजान
कल्हण का साहित्य - महान, शव में भर देता है प्राण।

बाबा - राम - देव का योग, भारत यह सुन्दर - संजोग
मिट - जाता मानव का रोग, शकुन योग के पीछे भोग।

भारत - पर हमको अभिमान, इससे - अपनी है पहचान
इस जीवन का ध्येय महान, करें देश हित हम वलिदान।

शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ





Thursday, 8 February 2018

होरी

          रोला छंद - 11/ 13

नटवर - नागर - नँद, आज हमरो - घर आबे
नानुक हावय काम, कहूँ - बोचक झन जाबे।
नइ आबे तव देख, तोर मयँ चुगली करिहवँ
तयँ अस माखनचोर, तोर दायी ला कइहवँ।

सुन तो नटवर - आज, रास मा सब्बो  रइहीं
तयँ हर बनबे श्याम, शकुन हर गोपी बनही।
मुरली - धर तयँ आज, छोड के मुरली आबे
गरगस लागय बोल, होंठ मा झनिच लगाबे।

होरी मा सुन - श्याम, मारबे झन पिचकारी
लुगरा के बड दाम, अबड - कन  देहीं - गारी।
कुमकुम बढिया - रँग, लगा दे नटवर  रोरी
मन मा भरे - उमँग, मना लेतेन - हम होरी।

सुरता आथे रास, अबड सुख लागिस मोला
बाजिस अनहद नाद, शकुन के तरगे चोला।
तहीं - सच्चिदानँद, भाग ले पा - गयँ तोला
पाहवँ - परमानँद, शरण मा ले - ले मोला ।

शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ  

Thursday, 19 October 2017

गो - वर्धन

           कुण्डली - छंद

गो - वर्धन को समझ लो, बढे गाय - परिवार
गौ - माता समझा - हमें, जीवन का आधार।
जीवन का - आधार, बनो तुम ही गउ - माता
गो - रस में है स्वाद, सभी को पुष्ट - बनाता।
गौ माता का त्याग, जानले कर अभिनन्दन
बढे गाय - परिवार, समझ लो जी गो वर्धन।

महिमा गौ - की मान ले, वह है पालन - हार
गाय - पालती  है हमें, सचमुच - अपरम्पार।
सचमुच - अपरम्पार, गाय  गो - रस देती है
निज - छौने को छोड,  हम सभी को सेती है।
जीवन यह उपहार, खाद गो - वर की गरिमा
गउ है पालन - हार, मान ले गउ की महिमा।

शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ       
  

Wednesday, 18 October 2017

यम चतुर्दशी

             कुण्डली


यम चलता है नियम से, वह करता है न्याय
सूर्य - पुत्र है इसलिए, वह अग्रज - कहलाय।
वह - अग्रज कहलाय, राह - वह दिखलाता है
गुरु लाघव समझाय, समझ में आ जाता है।
विधि निषेध के साथ, प्राण प्रण से पलता है
करता है वह न्याय, नियम से यम चलता है।

Tuesday, 17 October 2017

धनतेरस


ललित - सार छंद - 16/12

धन - तेरस हमसे कहता है, बाँट - बाँट कर खाओ
धरती है परिवार - हमारा, सब को यह समझाओ।

भाव भूमि से कर्म - भूमि में, जाकर भाग्य बनाओ
जो बोयेंगे वही - मिलेगा, आम - नीम समझाओ ।

लक्ष्मी जी को नहीं - चाहिए, पूजा हवन - दिखावा
श्रद्धा से बस फूल - चढाओ, छोडो क्षणिक छलावा ।

भूखे को भोजन - करवा दो, सहज  धर्म - अपनाओ
राज - मार्ग पर चलो हमेशा, बच्चों को सिखलाओ।

जहाँ कहीं भी दिखे - अँधेरा, उस घर को उजियारो
उन लोगों का बनो - सहारा, जगमग दीपक बारो ।

हर पौधे में सञ्जीवन है, इनकी सुन लो  महिमा
इनकी गरिमा जानो भाई, मिल सकती है अणिमा।

प्रतिदिन प्राणायाम करें हम, हम भी शतक लगायें
औषधियों का सेवन करके, जीवन सफल बनायें ।

आओ अपना धर्म जान लें, जीवन - सफल बनायें
रोते - रोते हम - सब - आए,  हँसते - हँसते जायें ।