Saturday 1 December 2012

जिन्दगी किताब बन गई

मिल गई है प्रेम की  गली  जाग  उठी  कामना  कई
खिल रही है प्रीत की कली जिन्दगी किताब बन गई .

तेरी छुअन में अजब नशा हरिन हुआ होश अब मेरा
तेरी साँस में है वो चुभन मै तो   मालामाल  हो गई .
जिन्दगी किताब बन गई .....

सहम   गए  शब्द  कंठ में  अंग अंग   थिरकने   लगा
तुम न कह सके तो क्या हुआ दृष्टि महाकाव्य कह गई .
जिंदगी किताब बन गई .......

काँप रही क्यों  अनामिका आज  इसे हो  गया है  क्या
हो गई है फुलझरी सी क्यों उसकी चाल क्योँ बदल गई .
ज़िंदगी   किताब  बन  गई  जिंदगी  किताब  बन  गई . 

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