Wednesday 24 December 2014

अभिनन्दन - अटल बिहारी वाजपेयी

देश हित में जिसने अपना घर ही नहीं बसाया
अटल जी के कर्म - योग को प्रणाम करती हूँ ।

आज़ादी  के  बाद भी तो जेल जाना पडा उन्हें
उनके  देश - प्रेम  को  सादर नमन करती  हूँ ।

संयुक्त राष्ट्र संघ में भी हिंदी को अलंकृत किया 
उस  कवि का  मैं बार - बार वन्दन करती  हूँ ।

देश - हित में आज जो अटल दिया जल रहा है
उस अखण्ड ज्योति को सौ-सौ नमन करती हूँ ।

1 comment:

  1. अटल बिहारी का व्यक्तित्व ही अनूठा था...सम्मान इन्हें पा कर धन्य हुआ...

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