Sunday 8 March 2015

देस - राग

सबसे सुन्दर देश हमारा
    सुन्दरतम है पर काश्मीर ।
माला एक लंगडी लडकी है
        रहती है सरहद के तीर ।

गोला - बारी होती रहती
      आए दिन सरहद के पास ।
बचपन से वह देख रही है
        नहीं सुधरने की है आस ।

माला सैनिक की बेटी है
      सुनती है वह भी ललकार ।
मन में वह सोचा करती है
    सौ - सौ बार तुझे धिक्कार ।

तभी धुँधलके में माला ने
       काले साए को देख लिया ।
बंदूक तानकर फिर माला ने
         उस साए को मार दिया ।

घर में घुसी तुरंत और वह
      लेट गई बिल्कुल चुपचाप ।
जब कोलाहल हुआ तभी वह
        उठ कर आई अपने आप ।

पिता ने जब पूछा ऑखों से
     माला ने स्वीकार किया था ।
हाथ पीठ पर रखा पिता ने
      साहस का ईनाम दिया था ।

सरहद समीप रहने वाले भी
    सैनिक सम कर्तव्य निभाते ।
ईनाम भले ही मिले न मिले
       मातृभूमि के वे काम आते ।

माला भीड से घिरी हुई है
         कोई भी नहीं देखता पॉव ।
उसकी बहादुरी दिखती है
           भौचक है अब पूरा गॉव ।

शकुन्तला शर्मा , भिलाई

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