Friday 17 April 2015

जो साहस से कदम बढाता

भवतरा में एक लंगडी लडकी है उसका नाम सहोदरा है
सहोदरा  को सभी  चिढाते पर सहोदरा बस  सहोदरा है ।

सबका ध्यान सदा रखती है सबके प्रति सुंदर व्यवहार
दसवीं - कक्षा में वह पढती है सुन्दर है आचार  विचार ।

पढने में वह होशियार है अपनी कक्षा में अव्वल आती
संस्कृत के मन्त्रों को सुंदर वह लय में गाकर दोहराती ।

षोडश - संस्कार  करवाती  गॉव - गॉव में वह जाती है
पूरी - श्रद्धा से वह  सब  का संस्कार  खुद - करवाती है । 

जो कुछ  इससे मिल जाता है घर में चूल्हा - जलता है
सब्ज़ी - भाजी आ जाती है मॉ -  बेटी का पेट पलता है ।

बडी  हो  रही  है  सहोदरा  बडा  हो  रहा उसका -  नाम
बारहवीं पास किया है उसने मिला तिपहिए का ईनाम ।

अब सहोदरा की चर्चा होती  पूरी - दुनियॉ भर में आज
मन्त्रों का सुंदर उच्चारण सुनता है यह सकल- समाज ।

सहोदरा की सी.  डी.बिकती दुनियॉ ध्यान से सुनती है
अनुष्ठान है मानव - जीवन वह अपने मन में गुनती  है ।

सम्बल - बार - गॉव में रहता सहोदरा से करता - प्यार
सहोदरा  से  मिलने आया कर बैठा  फिर वह - इज़हार ।

सहोदरा  मन ही मन हँसती सम्बल अच्छा लगता  है
जो साहस से क़दम - बढाता सम्बल उसको मिलता है ।



2 comments:

  1. सहोदरा मन ही मन हँसती सम्बल अच्छा लगता है
    जो साहस से क़दम - बढाता सम्बल उसको मिलता है ।
    ...बिलकुल सच कहा है...जिसमें साहस है उसको संबल स्वयं मिल जाता है. बहुत प्रभावी और प्रेरक प्रस्तुति...

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  2. गॉव से आया फिर शहर की ओर

    चहकती चिड़िया, कोयल की बोली और कबूतरो की गुटर-गू....ना जाने कहा खो गई ||

    बैलो की गले की घंटी - हल, बरगद का पेड़....मिटटी की खुशबू....

    गॉव की माटी - खेतो के पगडंडियों की पाती पाती.....कहा खो गई

    http://www.shabdanagari.in/Website/Article/%E0%A4%97%E0%A5%89%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%86%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%B6%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%80%E0%A4%93%E0%A4%B0

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