Tuesday 5 May 2015

मेहनत का फल मीठा होता

घर - भर में सन्नाटा - छाया कानी - खोरी- छोरी जन्मी है
मॉ  की  छाती - पर  पत्थर है उसके मुँह में जमा - दही है ।

ढेली उसका - नाम  पड - गया  पहली - कक्षा  में आई  है
वैद -  विदुषी  है  उसकी  मॉ अपनी - मॉ  की  परछाईं  है ।

मोती - जैसे सुन्दर - अक्षर  हैं  वह पढने में  होशियार  है 
मन में पीडा अनुभव - करती कडुवे सच पर वह सवार है ।

दृष्टि - कोण है निरा - निराला वह स्वभाव से ही खोजी है
कौतूहल  है  मन  में  इतना  वह अद्वितीय  है  जो  भी  है ।

रात  के  पीछे  दिन आता  है  दिन  के पीछे आती है रात
एक - एक  दिन करते - करते  बीत गई कितनी बरसात ।

ढेली अब - कॉलेज़ में पढती है बायो की वह - विद्यार्थी है
कुछ कुछ नया खोजती रहती अन्वेषण की अभिलाषी है ।

मॉ के संग  संग लगी है ढेली वह औषधि-शोधन करती है
बरसों से वह लगी हुई है कुछ - प्रयोग करती - रहती है ।

एक - अनार के पौधे - पर वह डाल - रही है औषधि - एक
जिससे - पौधा थोडे - दिन में देगा - बडे - अनार - अनेक ।  

2 comments:

  1. प्रेरणादायक...भावपूर्ण...

    ReplyDelete
  2. आओ हम सब एक हो, सत्य सरलता प्रेम।
    जीवन को पहचान लो, कर्म धर्म को हेम।।

    बहुत सुन्दर दीदी

    ReplyDelete