Thursday 30 July 2015

प्रेमचंद - पुण्यतिथि के पावन पर्व पर

           मुंशी प्रेमचंद 

मुंशी प्रेमचंद कह हम तुम्हें पुकारते हैं 
          नमक का दरोगा हमें याद बहुत आता है ।

शील दया करुणा सभी गुणों के स्वामी तुम
           कर्मभूमि - पथ  का  पाथेय बन जाता है ।

प्रेम - पगे शब्द तेरे अजर - अमर हुए 
            होरी धनिया के साथ साथ हम चलते हैं ।

मन में मगन इतिहास रच गए हो तुम 
           पंच परमेश्वर की खाला को याद करते हैं ।

चंदा - चॉदनी में तुम आज भी चमकते हो 
            बूढी काकी आज हमें रास्ता दिखाती है ।

दस - दफा पढी ईदगाह की वही कहानी 
            हामिद के चिमटे की याद बहुत आती है । 



3 comments:

  1. प्रेमचन्द की पावन स्मृति दिलाती सुंदर रचना

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  2. मुंशी प्रेमचंद जी को बहुत सुन्दर काव्यमय श्रद्धांजलि...

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  3. क्या बात है दीदी मुंशी प्रेमचन्द ऊपर सार्थक काव्यांस

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