Tuesday 10 March 2015

शहनाई

सभी  कोसते  हैं  बच्ची  को  बोल  नहीं  पाती है 'पाई '
पर  सुनती  है  बहुत ध्यान से और बजाती है शहनाई ।

पिता बजाते जब शहनाई तब बडे ध्यान से सुनती है
वह चुपके से रियाज़ करती रागों की कडियॉ बुनती है ।

उसका मन भी करता है कि वह प्रति - दिन जाए स्कूल
सब  बच्चों  के  संग  पढे वह कभी भी कोई हो न भूल ।

'पाई' शहनाई बजा रही थी तो मास्टर जी ने देख लिया
बडे गुरु जी के संग आए 'पाई ' के पिता से बात किया ।

'पाई' का फिर हुआ दाखिला बेहद खुश है ' पाई ' आज
ठुमक ठुमक कर नाच रही है मिला हो जैसे कोई ताज़ ।

पढने  में  है  तेज बहुत वह बहुत ध्यान  से  सुनती  है
उससे  जब  पूछा  जाता  है  तब  उत्तर  में  लिखती है ।

वक्त भागता अपनी गति से पर है समय बडा- बलवान
रुकता  नहीं  कभी  भी  लेक़िन चलने में है पहलवान ।

'पाई' अब कॉलेज में आई उसका परिचय भी आया है
कइयों  ने उपहास  किया  है  तो बहुतों ने अपनाया है ।

तुलसी - जयन्ती मना रहे हैं 'पाई' के कॉलेज में आज
मानस पर शहनाई वादन पर खुल सकता है यह राज़ ।

'पाई'  की शहनाई सुन कर पूरा कॉलेज आनन्दित  है
बहुत दिनों के बाद मिला यह कलाकार अभिनंदित है ।

'पाई' सबकी मीत बन गई 'पाई' बनी आज सिरमौर
अपने घर में मिली प्रतिष्ठा 'पाई' पर सबने किया गौर ।

सब अखबारों पर छाई है 'पाई'  की सुमधुर  शहनाई
शहनाई  है 'पाई'  या  फिर 'पाई' ही  बन गई शहनाई ।

'पाई' के घर के आगे है मिलने वालों की भारी भीड
हाथ जोड अभिवादन करती गदगद है 'पाई' का नीड ।

एक बडा अधिकारी तब ही  'पाई' से मिलने आया है
उसने कहा  दूर - दर्शन में सर्विस का ऑफर लाया है ।

'पाई' करने लगी नौकरी फिर घर की हालत ठीक़ हुई
गाडी  पटरी  पर आई  है  घर  की काया निखर - गई ।

पावस नामक लडके से फिर 'पाई' का मनमेल हो गया 
जल तरंग वादक है पावस पनप रहा  है  दया -  मया ।

संग - संग अक्सर दिखते हैं वे दोनों पावस और पाई
इस  दुनियॉ  की जीभ बताती बजने वाली है शहनाई ।
 

3 comments:

  1. सुन्दर मेल पावस पाई और गीत का !

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  2. बहुत मधुर और प्रेरक अभिव्यक्ति...

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  3. बहुत मधुर और प्रेरक अभिव्यक्ति...

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