Friday 21 February 2014

सूक्त - 23

[ऋषि- विमद ऐन्द्र । देवता- इन्द्र । छन्द- जगती- त्रिष्टुप्- अभिसारिणी ।]

9016
यजामह   इन्द्रं  वज्रदक्षिणं   हरीणां   रथ्यं1   विव्रतानाम् ।
प्र श्मश्रु दोधुवदूर्ध्वथा भूद्वि सेनाभिर्दयमानो वि राधसा॥1॥

हे  प्रभु  तुम  यश - वैभव  देना  सदा  हमारी  रक्षा  करना ।
सत्पथ  पर  ही  हम   चलते हैं धन-धान हमें देते रहना॥1॥

9017
हरी  न्यस्य  या  वने  विदे  वस्विन्द्रो  मघैर्मघवा  वृत्रहा  भुवत् ।
ऋभुर्वाज ऋभुक्षा:पत्यते शवोSव क्ष्णौमि दासस्य नाम चित्॥2॥

इन्द्र - देव  अति   तेजस्वी   हैं   दुष्टों   को    दण्ड  वही   देते   हैं ।
भूल   से   कोई   भूल  हो  जाए  अपने - पन  से  अपनाते   हैं॥2॥

9018
यदा  वज्रं  हिरण्यमिदथा  रथं  हरी यमस्य वहतो वि सूरिभिः ।
आ तिष्ठति मघवा सनश्रुत इन्द्रो वाजस्य दीर्घश्रवसस्पतिः॥3॥

तुम  यश - वैभव  के  स्वामी  हो  वरद - हस्त  हम पर रखना ।
बार - बार  तुम  हमें  सिखाना  कर्म - योग पथ पर चलना ॥3॥

9019
सो चिन्नु वृष्टिर्यूथ्या3 स्वा सचॉ इन्द्रः श्मश्रूणि हरिताभि प्रष्णुते।
अव   वेति   सुक्षयं   सुते  मधूदिद्दधूनोति  वातो  यथा  वनम् ॥4॥

रिमझिम  बरसात  तुम्हीं  देते  हो  बारिश  की  है  बात  निराली ।
धरा   भीग -  कर  उर्वर   होती   पृथ्वी   पर  आती  हरियाली ॥4॥

9020
यो   वाचा   विवाचो   मृध्रवाचः   पुरू   सहस्त्राशिवा   जघान ।
तत्तदिदस्य पौंस्यं गृणीमसि पितेव यस्तविषीं वावृधे शवः॥5॥

दुष्ट - दमन  अति  आवश्यक  है  तुम्हीं  हमारी  रक्षा  करना ।
इन्द्र - देव तुम पिता-सदृश हो तुम ही सबकी पीडा हरना ॥5॥

9021
स्तोमं  त  इन्द्र  विमदा अजीजनन्नपूर्व्यं पुरुतमं सुदानवे ।
विद्मा  ह्यस्य  भोजनमिनस्य  यदा पशुं न गोपा: करामहे॥6॥

तुम  धन - वैभव  के  स्वामी  हो  हमको भी देना धन-धान ।
अति-आत्मीय तुम्हीं लगते हो वेद-ऋचाओं का दो ज्ञान॥6॥

9022
माकिर्न  एना  सख्या  वि  यौषुस्तव  चेन्द्र  विमदस्य  च  ऋषेः।
विद्मा हि ते प्रमतिं देव जामिवदस्मे ते सन्तु सख्या शिवानि॥7॥

अति - प्रिय  सखा  सदा  तुम  मेरे सख्य-भाव यह रहे निरन्तर ।
बनें   प्रेरणा   एक  -  दूजे   के   प्रेरित   करते   रहें   परस्पर ॥7॥  



   

5 comments:

  1. काश हम सत्पथ पर ही चलें !
    मंगलकामनाएं आपको !

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  2. ऋग्वेद हम शायद ही कभी पढ़ पाते , आपकी कृपा से समझ भी लिया !!

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  3. अति - प्रिय सखा सदा तुम मेरे सख्य-भाव यह रहे निरन्तर ।
    बनें प्रेरणा एक - दूजे के प्रेरित करते रहें परस्पर ॥7॥
    परम सखा को नमन !

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  4. बहुत खूबसूरत...

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