Friday 14 July 2017

छ्त्तीसगढ की भैरी भौजी

छत्तीसगढ की भैरी भौजी परिचय की मोहताज़ नहीं है
लाई - बडी वाली कहलाती यही विशेषण आज सही है ।

एक समय था जब घर भर में होता था उनका उपहास
भैया भी संग छोड - गए थे अब कहते हैं था परिहास ।

निच्चट भैरी हावस भौजी कह कर ननंदें चुटकी लेती
देवर पीठ के पीछे  हँसते सास - हज़ार गालियाँ देती ।

डट कर काम करा लेते थे खाने को मिलता था उपवास
हार गई जब भैरी  भौजी तब छोडा था अपना आवास ।

दीन - हींन दुखियारी वह थी पर मन था जैसे फौलाद
एक टोकरी धान ले आई, लाई फोड कर किया निनाद।

लाई से उस ने बडी बनाई, लगी बेचने बडी बना - कर
लाई - बडी बहुत अच्छी है, सबने यही कहा था खाकर।

धीरे - धीरे गाँव के बाहर, लाई - बडी ने जगह बनाई
अपने जैसों को संग लेकर भौजी फैक्टरी वहीं लगाई।

ऑर्डर पर ऑर्डर आते हैं अब अपनी - भौजी के पास
लाई बडी बाज़ार में पसरी रहता हैं देश विदेश प्रवास ।

 अब - पूरे देश में भैरी - भौजी पाती रहती है सम्मान
पूरा देश साथ है उनके अपमान बन गया है वरदान ।

देखो जी कभी निराश न होना भैरी भौजी ने सिखलाया
रात अँधेरी जितनी भी हो राह दीए ने खुद दिखलाया ।

शकुन्तला शर्मा. भिलाई, छ्त्तीसगढ