इतिहास इस बात का साक्षी है कि संस्कृत सभी भाषाओँ की जननी है | यही कारण है कि चाहे
वह अंग्रेजी हो , लैटिन हो , फ्रेंच हो , स्पैनिश हो , जापानी हो या उर्दू , अरबी , फ़ारसी हो ,
विश्व की सभी भाषाओँ में , संस्कृत भाषा की मूल धातुओं से बने शब्द , आज भी विद्यमान हैं |
अंग्रेज़ी में एक शब्द है OMNI - POTENT , यदि आप किसी अँगरेज़ से पूछेंगे कि इस शब्द
की उत्पत्ति कैसे हुई , तो वह नहीं बता पाएगा क्योंकि यह 'ओम' शब्द से बना है | जिसका
अर्थ है "सर्व - शक्तिमान " एक शब्द और है - OMNI- PRESENT यह शब्द भी 'ओम ' से ही
बना है और इसका अर्थ है -"सर्व - व्यापक | " इसी प्रकार उर्दू , अरबी और फारसी का एक
शब्द है - 'नमाज़ ' , जो संस्कृत के 'नम ' धातु से बना है , जिसका आशय है , नमस्कार
करना | उर्दू , अरबी और फ़ारसी में , पूजा - प्रार्थना करने की प्रक्रिया का नाम ही 'नमाज़ '
है | दूसरों की भाषा सीखना और उसे अपना लेना , मानव की स्वाभाविक प्रवृति होती है |
अँगरेज़ भी इससे अछूते नहीं रहे , उन्होंने छत्तीसगड़ही के अनेक शब्दों को सीखकर अपनी
भाषा को समृद्ध बनाने का , भरपूर प्रयास किया | जैसे - लाइक - LIKE, कप - सासर ,
CUP- SAUCER, टिप - TIP, जिनिस - JEANS, सिरतोन - CERTAIN, नोहय - NO .
विश्व की अन्य भाषाओँ की तरह छत्तीसगढ़ी में भी , संस्कृत के शब्दों का बाहुल्य है और
यह कोई अचरज की बात भी नहीं है | बिटिया में , महतारी के गुण - संस्कार तो रहेंगे ही
और यही संस्कार , उनके अलंकरण भी बन जाते हैं | छत्तीसगढ़ी बहुत समृध्द भाषा है |
इसमें प्रणय एवं प्रणव , दोनों का चरमोत्कर्ष है | जहाँ बिहाव - गीत , चंदैनी , सोहर ,
ददरिया , देवार - गीत ,सुआ गीत और फाग गीत प्रणय को परिभाषित करते हैं , वहीं
करमा , जसगीत , भोजली , भरथरी , पंडवानी , पंथी , चौका [कबिरहा लोक भजन ]
डंडा- गीत, गौरा गीत आदि लोक गीतों में प्रणव की महिमा गाई गई है | छत्तीसगढ़ी
यदि मुंदरी है , तो संस्कृत उस मुंदरी में जड़ा हुआ नग है , जो उसकी सुन्दरता में चार
चाँद लगा रहा है | आइये हम एक - एक शब्द के अर्थ और उसकी व्याख्या पर विचार
करते हैं |
सर्वप्रथम हम ' दायी ' शब्द के विषय में सोचते हैं | 'दायी ' शब्द 'दा' धातु से बना है
जिसका अर्थ है देना | 'दायी ' शब्द संस्कृत के 'दायिनी ' शब्द का अपभ्रंश है |' दायिनी '
शब्द का अर्थ है - देने वाली | छत्तीसगढ़ी में माता को 'दायी ' कह कर पुकारने की
परम्परा है , जो श्रुतियों की "मातृदेवो भव " की परम्परा को परिपुष्ट करती है |
संस्कृत में एक शब्द है - 'तस्मै ' , जिसका अर्थ है 'उसके लिए ' छत्तीसगढ़ी में 'तस्मै '
का अर्थ 'खीर '| अब प्रश्न यह उठता है कि खीर किसके लिए बनती है ? उत्तर है उस
ईश्वर के लिए | प्रश्न पुन: उत्थित होता है कि वह ईश्वर कौन है ? इसका जवाब है कि
मैं ही ईश्वर हूँ |" अहं ब्रम्हास्मि " की शैली में 'तस्मै ' का भोग लगता है | 'तस्मै '
शब्द बार - बार यह स्मरण दिलाता है कि हमारे भीतर वह ईश्वर विद्यमान है | "अहं
ब्रम्हास्मि " का पर्यायवाची शब्द , छत्तीसगढ़ी में "मैं हर " और "तत्वमसि " का
पर्यायवाची शब्द " तैं हर ", प्रयुक्त होता है | इतना ही नहीं ए हर , ओ हर , रुख हर ,
नदिया हर , पहाड़ हर , गाय हर , बैला हर , खेत हर ,खार हर अर्थात ," कण - कण
में भगवान " का जो दर्शन है , वह छत्तीसगढ़ की संस्कृति में साफ - साफ झलकता
है |
आइये हम यह जानने की चेष्टा करें कि छत्तीसगढ़ी में , संस्कृत के कौन - कौन से
शब्द आज भी विद्यमान हैं |
संस्कृत छत्तीसगढ़ी हिन्दी
अमृत अमृत अमृत
अजर अजर अजर
अमर अमर अमर
अहं ब्रम्हास्मि मैं हर मैं ब्रम्ह हूँ
अंगुष्ट अँगठा अँगूठा
अमावस्या अमावस अमावस्या
अपयश अपजस अपयश
अक्षर आखर अक्षर
अहंकार अहंकार अहंकार
अर्पित अर्पित अर्पित
आशीष असीस आशीष
अनन्त अनन्त अनन्त
अस अस , असन होना
अग्नि आगी आग
आत्मा आत्मा आत्मा
आषाढ़ आसाढ़ आषाढ़
आम्र आमा आम
अम्ल अमली , अम्मठ अम्ल
अपमान अपमान अपमान
आशा आस आशा
उदार उदार उदार
उज्ज्वल उज्जर उज्ज्वल
एहिभांति एहवाती इसी तरह
कुटुम्ब कुटुम कुटुम्ब
कृपा कृपा कृपा
का का क्या
कटु करू कटु
कपाल कपार कपाल
केश केश केश
कूष्मांड कोंहड़ा कुम्हड़ा
काल काल काल
कर्म करम कर्म
कुकर्म कुकरम कुकर्म
कन्या कइना कन्या
काष्ठ कठवा लकड़ी
कुशल कुशल कुशल
कुल कुल कुल
कीट कीरा कीड़ा
कंठ कंठ कंठ
गरीयस गरीयस आत्मीय
गणना गिनती गणना
गणेश गनेश गणेश
गणपति गणपति गणपति
गर्व गरब गर्व
गन्तव्य गन्तब गन्तव्य
गर्भिणी गाभिन गर्भिणी
गतं गईस गया
गीत गीत गीत
गुरु गुरु गुरु
ग्रहण गरहन ग्रहण
गोरस गोरस गोरस
गोचर गोचर गोचर
गोवर गोबर गोबर
ग्राम गाँव गाँव
गोत्र गोत्र गोत्र
गौ गौ गाय
गंध गंध गंध
घड़ी घड़ी घड़ी
घृत घी घी
घृतकुमारी घिकवार घृतकुमारी
घंटी घंटी घंटी
चर चर चर
चरित चरित चरित
चैत्र चैत चैत्र
चंद्र चंदा चन्द्रमा
चंदन चंदन चंदन
चंचल चंचल चंचल
च च च
चौर चोट्टा चोर
छाया छाया छाया
छतरी छाता छतरी
जीव जीव जीव
जन्म जनम जन्म
जीत जीत जीत
जीवन जीवन जीवन
जगत जगत जगत
ज्वर जर ज्वर
परलोक परलोक परलोक
परवश परबस परवश
परदेश परदेस परदेश
पथ्य पथ पथ्य
पक्ष पाख पक्ष
पर पर पर
पर्ण पान पत्ता
पत पत पत
पिपासा प्यास प्यास
परिपूर्ण परिपूरन परिपूर्ण
पितृ पितर पूर्वज
प्राण प्रान प्राण
पार्षद पारखत पार्षद
पुण्य पुन पुण्य
प्रजा परजा प्रजा
पादुका पनही पादुका
पाप पाप पाप
पिण्ड पिण्ड शरीर
पुरोहित उपरोहित पुरोहित
प्रेत प्रेत प्रेत
प्रतीत परतीत प्रतीत
प्रलय परलय प्रलय
पंचपात्र पंचपात्र पंचपात्र
पण्डित पण्डित पण्डित
पीड़ा पीरा पीड़ा
पूजा पूजा पूजा
फल फर फल
फलाहार फरहार फलाहार
फण फन फण
बधिर भैरी बहरी
बंशी बंसी बाँसुरी
बदरी बोईर बेर
बुद्धि बुद्धि बुद्धि
बीजं बीज बीज
बाल बाल बालक
बाण बान बाण
बंधन बंधन बंधन
बलिवर्द बैला बैल
भगवन भगवान भगवान
भक्त भगत भक्त
भगिनी बहिनी बहन
भूत भूत भूत
भ्रम भरम भ्रम
भाषा भाखा भाषा
भूषण भूखन भूषण
भूमि भुइयाँ भूमि
भाग्य भाग भाग्य
भज भज भज
भास भास आभास
मम मोर मेरा
महाजन महाजन महाजन
मर्म मरम मर्म
मत्स्य मछरी मछ्ली
मदारि मदारी मदारी
मन मन मन
मति मति मति
मनसा मनसा मनसा
मसि मस स्याही
मानुष मनखे मनुष्य
मेघ मेघ मेघ
मुनि मुनी मुनि
मातरि महतारी माता
मुहूर्त मुहुरुत मुहूर्त
मिश्र मिसिर मिश्रा
महिमा महिमा महिमा
मान मान मान
मूल मूल मूल
मंत्र मंत्र मंत्र
मुख मुँह मुख
मोक्ष मोक्ष मोक्ष
मोह मोह मोह
मौन मौन मौन
मूषक मुसवा चूहा
तन तन तन
तप तप तप
तव तैं तुम
तडाग तलाव तालाब
तन्मय तन्मय तन्मय
तर्पण तरपन तर्पण
तत्वमसि तैं हर तुम वही हो
ततो तव तो , तब
तत्काल तुरते तुरंत
तपस्या तपस्या तपस्या
तत्र ऊहाँ वहाँ
तान तान तान
तारणहार तारनहार तारणहार
तंत्र मंत्र तंत्र मंत्र तंत्र मंत्र
ताण्डव तांडव ताण्डव
तैलं तेल तेल
तृष्णा तृष्णा तृष्णा
तिलांजलि तिलांजलि तिलांजलि
दम दम दम
दर्पण दर्पण दर्पण
दधि दही दही
दरिद्र दरिदर दरिद्र
दर्शन दर्शन दर्शन
दक्षिणा दक्षिणा दक्षिणा
दान दान दान
दिवस दिन दिन
दुग्ध दूध दूध
दुष्काल दुकाल दुष्काल
देवालय देवाला देवालय
दीप दिया दीपक
दुःख दुःख दुःख
दुष्ट दुष्ट दुष्ट
दंत दांत दांत
दाडिमी दरमी अनार
ध्यान ध्यान ध्यान
धन धन धन
धन्य धन्य धन्य
धान्य धान धान्य
धिक् धिक्कार धिक्कार
धरती धरती धरती
धर धर धारण करना
धीर धीर धीर
न नहीं नहीं
नदी नदिया नदी
नख नख नाखून
नव नवा नया
नाम नाव नाम
नग्न नंगरा नंगा
नमो नमो नमस्कार
नवा नवा नया
नर्क नरख नर्क
नितांत नितांत नितांत
नारायण नारायन नारायण
नोहय नोहय नहीं
नासिका नाक नाक
नहि नहिं नहीं
निंदा निंदा निंदा
नृसिंह नरसिंह नरसिंह
यत्न जतन यत्न
यश जस यश
यम जम यम
योनि जोनि योनि
यमुना जमुना यमुना
यज्ञ जज्ञ यज्ञ
रम्या रमनीक रमणीक
रात्रि रात रात
रक्षा रक्षा रक्षा
राक्षस राक्षस राक्षस
रोम रुआं , रोम रोम
रथ रथ रथ
राजा राजा राजा
रानी रानी रानी
राग राग राग
रास रास रास
रिद्धि रिद्धि रिद्धि
लक्ष्मी लछमी लक्ष्मी
लवण नून नमक
लग्न लगन लग्न
लक्ष लाख लाख
ललना ललना नारी
लज्जा लाज लज्जा
लवँग लवांग लवँग
लंब लम्मा लंबा
लंघन लाँघन भूखा
लाल लाल बेटा
वन बन बन
वर्ष बरिस वर्ष
वचन बचन वचन
वर्जना बरजना वर्जना
वज्र बज्र वज्र
व्रत बरत व्रत
वर्ण बरन वर्ण
वाणी बानी वाणी
विदा बिदा विदा
वीर बीर वीर
विष बिख विष
विषय बिषय विषय
विकार बिकार विकार
वट बर वट
विकराल बिकराल विकराल
वृक्ष रुख वृक्ष
विवाह बिहाव विवाह
विश्वास बिश्वास विश्वास
विलंब बिलंब विलंब
विद्या बिद्या विद्या
वेद बेद वेद
वैरी बैरी वैरी
वैशाख बैसाख वैशाख
वैकुण्ठ बैकुण्ठ वैकुण्ठ
वीणा बीना वीणा
वंदना बंदना वंदना
वेला बेला वेला
सदा सदा सदा
सत्य सच सत्य
सर्वदा सरबदा सर्वदा
सम्मान सम्मान सम्मान
सहित सहित सहित
सर्वत्र सबो जगह सर्वत्र
समधी समधी समधी
सपत्नी सौत सपत्नी
सहोदरा सहोदरा सहोदरा
सत सत सत
स्मरण सुमिरन स्मरण
स्वर्ण सोन स्वर्ण
स्वागत सुआगत स्वागत
सार सार सार
साधु साधू साधू
साक्षात् छातछात साक्षात्
संग संग संग
संतान संतान संतान
संकट संकट संकट
संतोष संतोष संतोष
सुआसीन सुआसीन सधवा
संवत्सर बछर वर्ष
संसार संसार संसार
संध्या सँझा संध्या
सूर्य सुरुज सूर्य
शाक साग सब्जी
शोक शोक शोक
शुक्ल सुकुल शुक्ला
शिव शिव शिव
शठ शठ मूर्ख
शुभ शुभ शुभ
षट छठ षष्ठी
षडानन खडानन कार्तिकेय
होलिकोत्सव होरी होली
हरित हरियर हरा
हास हांसी हँसी
हरि हरि हरि
हन हन समाप्त करना
हर हर शिव
क्षत्रिय खत्री क्षत्रिय
क्षमा छमा क्षमा
त्रिदेव त्रिदेव त्रिदेव
त्राहि - त्राहि त्राहि-त्राहि त्राहि-त्राहि
ज्ञान ज्ञान ज्ञान
शकुन्तला शर्मा , भिलाई [छ ग ]
ऐसा विद्वान लोगों ने बतलाया है कि शकर जी के डमरू के नाद से निकली ध्वनि पाणिनि के सूत्र को इंगित करती है तब स्वाभाविक है सभी भाषाओँ की जननी उच्चारण की दृष्टि से संस्कृत ही है इसीलिए इसे देवभाषा के नाम से जाना जाता है ******
ReplyDeleteभारतीय-आर्य और फिर भारोपीय भाषा परिवार के हैं शायद ये शब्द,
ReplyDeleteपितृ-पितर-फादर,
मातृ-मातर-मादर-मदर,
देउस-जियस-देवस जैसे ढेरों-ढेरों शब्द.
meri sakhi tera blog dekha kamal ka bna hai ati uttam hai shakuntalam maine bh socha hai tumhare naxe kadam pr abhi a b c d sikhna shuru kr rahi hu cnageshwar9.blogspot.in
ReplyDeletegreat collection of words hard to find anywhere but here.!
ReplyDeleteयह बहुत ही दिलचस्प पोस्ट है । संजोग से आज ही पढ़ने को मिला । देखें
ReplyDeletehttp://learnsanskrit.wordpress.com/2014/09/14/तस्मै-अथवा-खीर-pudding/
आपका आभारी,