Saturday 1 December 2012

जिन्दगी किताब बन गई

मिल गई है प्रेम की  गली  जाग  उठी  कामना  कई
खिल रही है प्रीत की कली जिन्दगी किताब बन गई .

तेरी छुअन में अजब नशा हरिन हुआ होश अब मेरा
तेरी साँस में है वो चुभन मै तो   मालामाल  हो गई .
जिन्दगी किताब बन गई .....

सहम   गए  शब्द  कंठ में  अंग अंग   थिरकने   लगा
तुम न कह सके तो क्या हुआ दृष्टि महाकाव्य कह गई .
जिंदगी किताब बन गई .......

काँप रही क्यों  अनामिका आज  इसे हो  गया है  क्या
हो गई है फुलझरी सी क्यों उसकी चाल क्योँ बदल गई .
ज़िंदगी   किताब  बन  गई  जिंदगी  किताब  बन  गई . 
                    jindgi 

Wednesday 25 January 2012

नेता जी सुभाष चंद्र

नेता जी सुभाष चंद्र को नहीं जानता जग में कौन
तउम्र भटकते रहे अकेले मातृभूमि के रक्षक मौन ।
जीत गए तुम अपनी बाजी राच्च्ट्र्‌ यज्ञ में आहुति दी
सुखदा आजादी मिली किंतु बाट जोहती रही सदी।
भान मुझे होता है अब भी तुम सबसे खून मांॅगते हो
द्राडानन सम सेनापति बनकर गारों का वध करते हो।
चंद्र समान तुम्हारा आनन देद्गा के हित में आया काम
द्रव सा मन था जनजन में प्रिय जनमन में अंकित है नाम।
बोए थे जो तुम बीज उसी की आज फसल उग आई है
सब देख रहे हैं राह तुम्हारी अब आने लगी रुलाई है ।