आज शिक्षक दिवस है । आज गाँव की पाठशाला में शिक्षक - दिवस मनाया जा रहा है । अँजोरा मैम शिक्षक - दिवस के बारे में बता रही हैं - " देखो बच्चों ! गुरु बनना बहुत जिम्मेदारी का काम है, शिक्षक ही देश के भविष्य को गढता है। यदि गुरु हर बच्चे को ईमानदार और मेहनती बना दे, तो देश में कोई समस्या ही नहीं होगी। है न ?
" मैम ! आप तो ठीक कह रही हैं, पर आज इतने बडे गुरु को जेल में बंद क्यों कर दिये हैं ? " गोकुल ने मैम से पूछा।
" कानून से बडा कोई नहीं होता गोकुल ! जिसने जो गलती की है, उसकी सज़ा उसे भुगतनी ही पढती है।" गोकुल रुआँसा हो गया, पर मोहन ने कहा - "मैम ! उनके स्टूडेण्ट्स ने शहर में तोड - फोड शुरु कर दी है। जगह - जगह आग लगा रहे हैं, रेल की पटरियाँ तोड रहे हैं, पत्रकारों पर हमला हो रहा है, मैम ! अपने ही देश का नुक़सान कोई कैसे कर सकता है ? "
" तुम ठीक कहते हो बेटा ! जो स्वार्थी लोग होते हैं, वे ही ऐसा करते हैं। जो गुरु होता है उस पर बडी जिम्मेदारी होती है, हर हाल में अपने कर्तव्य का पालन करना पडता है । देश और समाज की रक्षा करना, अपने शिष्यों को राह दिखाना गुरु का कर्त्तव्य है। गुरु ऐसा नहीं कर सकता कि अपने स्टूडेंट्स को आगे करके उनके पीछे दुबक जाए। "
" मैम ! उसने अपने बच्चों को कुछ सिखाया नहीं क्या ? उनके फालोवर तो गुण्डों जैसी हरकतें कर रहे हैं, शहर में आग लगा रहे हैं, तोड - फोड कर रहे हैं, वह अपने बच्चों को समझाते क्यों नहीं जैसे आप हमें समझाती हैं ? राधा ने कहा !
" बेटा ! उनका गुरु उन्हें बहुत पहले से ही गुण्डागर्दी करने के लिए ही यहाँ बुलाया है, क्योंकि वह जान गया था कि उसके अपराध की सज़ा उसे मिल कर रहेगी और वे अँध - भक्त, नासमझ लोग अपने ही देश का नुकसान कर रहे हैं, अपने ही देश में आग लगा रहे हैं। तुम लोग भी सोच कर देखो - उसने लाखों की संख्या में अपने फालोवर को क्यों बुलाया होगा ? वो नामुराद अपनी गुण्डागर्दी से न्यायपालिका को झुकाना चाहता है, उसकी इतनी हिम्मत ? सोचो वह कितना बडा अपराधी है ? उसके पीछे चलने वाले तो कीडे - मकोडे के समान हैं, उनको मनुष्य कहना तो मानवता को गाली देने के समान है। जिनकी अपनी सोच नहीं है, ऐसे लोगों को मनुष्य नहीं कह सकते, मनुजता शर्मसार हो जाएगी ।"
" हाँ मैम ! मेरी माँ भी यही कहती है कि जिससे देश का भला हो, वही काम करना चहिए। वेद भी यही कहते हैं, है न मैम ! मैम ! वह अपनी गलती मान लेने के बजाय देश का नुकसान करने पर क्यों तुला हुआ है ?" सुनील ने कहा । " बेटा ! हमारी छ्त्तीसगढी में एक कहावत है -" खीरा चोर जोंधरी चोर, तेकर पाछू सेंध फोर " अर्थात् बच्चा पहले छोटी गलती करता है और जब उसे बडों की शह मिल जाती है तब वह इसे अपना अधिकार समझ लेता है, वही हो रहा है । जब गीदड की मौत आती है तो वह शहर की ओर भागता है ।" मैम ने कहा ! सहमे हुए बच्चों के चेहरों पर मुस्कान आ गई। अब बच्चे प्रश्न वाचक चिह्न बन कर मैम को देख रहे थे, मैम ने कहा - " जिसने अपराध किया है उसे सज़ा भुगतनी ही होगी, चाहे वह कितना भी बडा बदमाश हो - " सत्यमेवजयते नानृतम्।" सत्य की ही विजय होती है, झूठ की नहीं । "
अचानक पास के गाँव से जोगी सर दौडते हुए आए और अँजोरा मैम से बोले - " बाबा के गुँडों ने हमारे स्कूल में आग लगा दी है, आप बच्चों को लेकर यहाँ से निकलिए बहन जी! " अँजोरा तुरंत उठी और बच्चों को लेकर पास के भवतरा गाँव के मंदिर में शरण ली, साथ - साथ बच्चों को महाराणा प्रताप की कहानी सुनाती रही, उनके खाने - पीने की व्यवस्था करवाई, फिर पुजारी जी को भेज कर, बच्चों के घरों में खबर भिजवाई कि भवतरा के मंदिर में उनके बच्चे मेरे साथ सुरक्षित हैं । सुबह - सुबह सभी बच्चे अपने - अपने घर पहुँच गए।
दूसरे ही दिन अखबारों में सबने पढा - " गुरु बनकर जनता को भटकाने वाला, गुंडागर्दी करने वाला, सरकारी महकमे को नुकसान करने वाला, देश में आग लगाने वाले को गुरु नहीं गुंडा कहा जाए और उसके आश्रम की सम्पत्ति को जप्त करके सरकारी नुकसान की भरपाई की जाए। साथ ही साथ जनता से यह अपील की जाती है कि वह आँख खोल कर गुरु बनाए और अँध - भक्त नहीं जागरूक शिष्य बने ताकि शिक्षक की बदनामी न हो । सरकार यह भी सोच रही है कि हम जर्मनी के समान, समाज के श्रेष्ठतम प्रतिभाओं को शिक्षा - विभाग में भेजें ताकि बच्चे को समुचित संस्कार दे सकें और भावी पीढी अपराध - मुक्त हो तथा पीढी दर पीढी दिव्य - गुणों को धारण करके आगत को गढ सके और देश अध्यात्म के शिखर को छू सके, किंतु एक सवाल अभी भी निर्लज्ज की तरह खडा हुआ है कि सरकार ऐसे पाखण्डी को क्यों पाल रही थी ? पन्द्रह बरस पहले उसकी पोल क्यों नहीं खुली ? इसे कौन बचा रहा था और क्यों बचा रहा था ?
शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ
" मैम ! आप तो ठीक कह रही हैं, पर आज इतने बडे गुरु को जेल में बंद क्यों कर दिये हैं ? " गोकुल ने मैम से पूछा।
" कानून से बडा कोई नहीं होता गोकुल ! जिसने जो गलती की है, उसकी सज़ा उसे भुगतनी ही पढती है।" गोकुल रुआँसा हो गया, पर मोहन ने कहा - "मैम ! उनके स्टूडेण्ट्स ने शहर में तोड - फोड शुरु कर दी है। जगह - जगह आग लगा रहे हैं, रेल की पटरियाँ तोड रहे हैं, पत्रकारों पर हमला हो रहा है, मैम ! अपने ही देश का नुक़सान कोई कैसे कर सकता है ? "
" तुम ठीक कहते हो बेटा ! जो स्वार्थी लोग होते हैं, वे ही ऐसा करते हैं। जो गुरु होता है उस पर बडी जिम्मेदारी होती है, हर हाल में अपने कर्तव्य का पालन करना पडता है । देश और समाज की रक्षा करना, अपने शिष्यों को राह दिखाना गुरु का कर्त्तव्य है। गुरु ऐसा नहीं कर सकता कि अपने स्टूडेंट्स को आगे करके उनके पीछे दुबक जाए। "
" मैम ! उसने अपने बच्चों को कुछ सिखाया नहीं क्या ? उनके फालोवर तो गुण्डों जैसी हरकतें कर रहे हैं, शहर में आग लगा रहे हैं, तोड - फोड कर रहे हैं, वह अपने बच्चों को समझाते क्यों नहीं जैसे आप हमें समझाती हैं ? राधा ने कहा !
" बेटा ! उनका गुरु उन्हें बहुत पहले से ही गुण्डागर्दी करने के लिए ही यहाँ बुलाया है, क्योंकि वह जान गया था कि उसके अपराध की सज़ा उसे मिल कर रहेगी और वे अँध - भक्त, नासमझ लोग अपने ही देश का नुकसान कर रहे हैं, अपने ही देश में आग लगा रहे हैं। तुम लोग भी सोच कर देखो - उसने लाखों की संख्या में अपने फालोवर को क्यों बुलाया होगा ? वो नामुराद अपनी गुण्डागर्दी से न्यायपालिका को झुकाना चाहता है, उसकी इतनी हिम्मत ? सोचो वह कितना बडा अपराधी है ? उसके पीछे चलने वाले तो कीडे - मकोडे के समान हैं, उनको मनुष्य कहना तो मानवता को गाली देने के समान है। जिनकी अपनी सोच नहीं है, ऐसे लोगों को मनुष्य नहीं कह सकते, मनुजता शर्मसार हो जाएगी ।"
" हाँ मैम ! मेरी माँ भी यही कहती है कि जिससे देश का भला हो, वही काम करना चहिए। वेद भी यही कहते हैं, है न मैम ! मैम ! वह अपनी गलती मान लेने के बजाय देश का नुकसान करने पर क्यों तुला हुआ है ?" सुनील ने कहा । " बेटा ! हमारी छ्त्तीसगढी में एक कहावत है -" खीरा चोर जोंधरी चोर, तेकर पाछू सेंध फोर " अर्थात् बच्चा पहले छोटी गलती करता है और जब उसे बडों की शह मिल जाती है तब वह इसे अपना अधिकार समझ लेता है, वही हो रहा है । जब गीदड की मौत आती है तो वह शहर की ओर भागता है ।" मैम ने कहा ! सहमे हुए बच्चों के चेहरों पर मुस्कान आ गई। अब बच्चे प्रश्न वाचक चिह्न बन कर मैम को देख रहे थे, मैम ने कहा - " जिसने अपराध किया है उसे सज़ा भुगतनी ही होगी, चाहे वह कितना भी बडा बदमाश हो - " सत्यमेवजयते नानृतम्।" सत्य की ही विजय होती है, झूठ की नहीं । "
अचानक पास के गाँव से जोगी सर दौडते हुए आए और अँजोरा मैम से बोले - " बाबा के गुँडों ने हमारे स्कूल में आग लगा दी है, आप बच्चों को लेकर यहाँ से निकलिए बहन जी! " अँजोरा तुरंत उठी और बच्चों को लेकर पास के भवतरा गाँव के मंदिर में शरण ली, साथ - साथ बच्चों को महाराणा प्रताप की कहानी सुनाती रही, उनके खाने - पीने की व्यवस्था करवाई, फिर पुजारी जी को भेज कर, बच्चों के घरों में खबर भिजवाई कि भवतरा के मंदिर में उनके बच्चे मेरे साथ सुरक्षित हैं । सुबह - सुबह सभी बच्चे अपने - अपने घर पहुँच गए।
दूसरे ही दिन अखबारों में सबने पढा - " गुरु बनकर जनता को भटकाने वाला, गुंडागर्दी करने वाला, सरकारी महकमे को नुकसान करने वाला, देश में आग लगाने वाले को गुरु नहीं गुंडा कहा जाए और उसके आश्रम की सम्पत्ति को जप्त करके सरकारी नुकसान की भरपाई की जाए। साथ ही साथ जनता से यह अपील की जाती है कि वह आँख खोल कर गुरु बनाए और अँध - भक्त नहीं जागरूक शिष्य बने ताकि शिक्षक की बदनामी न हो । सरकार यह भी सोच रही है कि हम जर्मनी के समान, समाज के श्रेष्ठतम प्रतिभाओं को शिक्षा - विभाग में भेजें ताकि बच्चे को समुचित संस्कार दे सकें और भावी पीढी अपराध - मुक्त हो तथा पीढी दर पीढी दिव्य - गुणों को धारण करके आगत को गढ सके और देश अध्यात्म के शिखर को छू सके, किंतु एक सवाल अभी भी निर्लज्ज की तरह खडा हुआ है कि सरकार ऐसे पाखण्डी को क्यों पाल रही थी ? पन्द्रह बरस पहले उसकी पोल क्यों नहीं खुली ? इसे कौन बचा रहा था और क्यों बचा रहा था ?
शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ