मिल गई है प्रेम की गली जाग उठी कामना कई
खिल रही है प्रीत की कली जिन्दगी किताब बन गई .
तेरी छुअन में अजब नशा हरिन हुआ होश अब मेरा
तेरी साँस में है वो चुभन मै तो मालामाल हो गई .
जिन्दगी किताब बन गई .....
सहम गए शब्द कंठ में अंग अंग थिरकने लगा
तुम न कह सके तो क्या हुआ दृष्टि महाकाव्य कह गई .
जिंदगी किताब बन गई .......
काँप रही क्यों अनामिका आज इसे हो गया है क्या
हो गई है फुलझरी सी क्यों उसकी चाल क्योँ बदल गई .
ज़िंदगी किताब बन गई जिंदगी किताब बन गई .
खिल रही है प्रीत की कली जिन्दगी किताब बन गई .
तेरी छुअन में अजब नशा हरिन हुआ होश अब मेरा
तेरी साँस में है वो चुभन मै तो मालामाल हो गई .
जिन्दगी किताब बन गई .....
सहम गए शब्द कंठ में अंग अंग थिरकने लगा
तुम न कह सके तो क्या हुआ दृष्टि महाकाव्य कह गई .
जिंदगी किताब बन गई .......
काँप रही क्यों अनामिका आज इसे हो गया है क्या
हो गई है फुलझरी सी क्यों उसकी चाल क्योँ बदल गई .
ज़िंदगी किताब बन गई जिंदगी किताब बन गई .
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