अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन के संस्थापक डॉ लॉरी आज़ाद ने जब हमें बताया कि हम 14वीं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में मॉरीशस जा रहे हैं, तो मैं बहुत खुश हुई । कारण श्रीलंका,से लेकर भूटान, कनाडा, अमेरिका, रूस, सिंगापुर,नेपाल,मलेशिया,इंडोनेशिया,थाईलैण्ड और मॉरीशस से हिंदुस्तान की खुशबू आती है.इन देशों का अपनापन मुझे आकर्षित करता है.मेरा मन वहॉ बार-बार जाना चाहता है.लारी भाई ने हमारे आने-जाने और ठहरने की फटाफट तैयारी कर दी और हम निकल पडे अपने गंतव्य की ओर.
11जून 2016
12 जून 2016
सुबह 8.00 बजे हमारा विमान मॉरीशस की ओर चल पडा.हमारी सीट के आगे लेपटॉप जैसा एक सिस्टम था,जिसमें हर पल यह दिखा रहा था कि- हम कहॉ हैं और हमें जाना कहॉ है? रास्ते में समुद्र का दृश्य भी कम लुभावना नहीं था.सफर सात घंटे का था. उस लैपटॉप पर हम फिल्म भी देख सकते थे,गाना सुन सकते थे और गेम भी खेल सकते थे किंतु मुझे समुंदर में अपने लक्ष्य की ओर धीरे-धीरे खिसकते हुए बढने में ही मज़ा आ रहा था. मैं निरंतर उसी को देखती रही और आराम से सीट पीछे करके बैठी रही. मॉरीशस एअर ने हमें जलपान करवाया. उन्होंने कई बार कॉफी भी पिलाई.हम उनसे बार-बार पानी मॉगकर उन्हें परेशान करते रहे पर उन्होंने हर बार बहुत प्यार से न केवल पानी परोसा अपितु हर बार हमारा अभिनंदन भी किया.लारी भाई ने मेरी प्लेट के लिए जैन लिखवा दिया था,इसका बडा प्रभाव पडा.उन लोग सबसे पहले मेरी प्लेट ला कर दे रहे थे,उसके बाद शाकाहारियों को और बाद में किसी और को परोस रहे थे. मेरे पास ही संध्या बैठी थी.वह मेरी प्लेट को ध्यान से देखती थी और कहती थी-" शकुन दीदी,मुझे पनीर नहीं दिया",मैं चुपचाप मुस्कुरा देती थी. अचानक 3.00बजे दोपहर को हमसे कहा गया-" कृपया अपना सीट-बेल्ट बॉध लें,हम पोर्टलुईस पहुँच चुके हैं
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थोडी ही देर में हम पोर्ट लुईस के सर शिवसागर रामगुलाम एअरपोर्ट पर पहुँच गए. वहॉ पर अ.भा.क.स.की टीम हमारे स्वागत में हमारे लिए गाडी लेकर आई है, उन्होंने मोतियों की माला पहना कर हमारा स्वागत किया फिर हम उनकी गाडी में बैठ गए. गाडी में एक गाइड भी है,जिसका नाम वरुणा है,वह एक-एक दृश्य को बारीक़ी से समझाती है,सबसे पहले हम " कासा फ्लोरिडा" हॉटेल गए,वहॉ हमने डिनर और विश्राम किया.
13 जून 2016
सुबह जलपान के तुरंत बाद हमारी गाडी आ गई, हम सब बैठ गए और हम मॉरीशस के वनस्पति-उद्यान की ओर भ्रमण के लिए निकल गए. वहॉ की मनोहारी छ्टा देख कर हम अभिभूत हो गए. हमने फोटोग्राफी भी की.हमारी गाइड वरुणा हमें वनस्पति विशेष के गुण-दोषों से रूबरू कराती रही.फिर नमस्ते रेस्टोरेण्ट में हमने लंच किया और प्रधानमंत्री आवास की ओर निकल गए क्योंकि प्रधानमंत्री जी से हमें मिलना था, प्रधानमंत्री जी ने हमसे बातचीत की और हम सबका अभिनंदन किया. हमने उन्हें अपनी किताबें भेंट की. वहॉ से निकल कर हम एक मॉल में घूमने चले गए और फिर उसी मॉल से नीचे उतर कर एक सुंदर जगह थी जिसका नाम लभ पॉइण्ट था वहॉ गए . वहॉ हमने फोटोग्राफी की. हमने वहॉ शॉपिंग भी की. हमें बहुत मज़ा आया. शाम को हमने अपने हॉटेल में डिनर किया और विश्राम किया.
14 जून 2016
आज हम जलपान के पश्चात शिप मॉडल फैक्ट्री देखने जा रहे हैं. यहॉ हर कारीगर बडी लगन से अपना काम कर रहा है. यह कारखाना बहुत आकर्षक है. अब हम यहॉ से निकल कर चमरेल जलप्रपात देखने जा रहे हैं.इस प्रपात में दो धारायें हैं.यहॉ हमने फोटोग्राफी कर ली है और अब हम गंगा तालाब की ओर बढ रहे हैं. आज से लगभग 150 वर्ष पूर्व अंग्रेज, हमारे भोले-भाले पूर्वजों को-" तुम पत्थर ढोना और हम तुम्हें सोना देंगे" कहकर बुला लेते थे और कभी जाने नहीं दिए. कलकत्ते के कुली-घाट से लोग यहॉ आते तो थे तो अपने साथ गंगा-जल लेकर आते थे और इसी तालाब पर चढा देते थे, इस तरह इसका नाम गंगा तालाब पड गया. यहॉ शिवरात्रि में बडा महोत्सव होता है. तालाब के बीचों-बीच शिवजी की बहुत बडी मूर्ति है.अभी रूबेन रेस्टोरेण्ट में भोजन करके अब हम सतरंगी भूमि की ओर बढ रहे हैं.
15 जून 2016
आज हम समुद्र तट पर हैं.यह बहुत आकर्षक है,मनोहारी है. हमने यहॉ तरह-तरह की बोटिंग की,फोटोग्राफी की . बहुत मज़ा आया. अरे लंच-टाइम हो गया.चलिए सीमांस रेस्टोरेण्ट में लंच करते हैं.अब यहॉ से हम शॉपिंग करते हुए अपने हॉटेल पहुँच गए हैं. अभी हम विश्राम करके " गोपीओ" महेन उच्चाना जी के कार्यक्रम में जा रहे हैं. वहॉ हमें भारतीय दूतावास के विनोद मिश्र जी मिले, उन्होंने हमसे बातचीत भी की.मैंने वहॉ काव्यपाठ किया,सभी ने ध्यान से सुना और सराहा भी, मुझे बहुत अच्छा लगा.वहॉ हमारी मुलाकात सरिता बुधु दीदी से हुई,वे वहॉ भोजपुरी की अध्यक्षा हैं.हमने वहॉ डिनर भी किया और फिर अपने हॉटेल में लौट आए.
16 जून 2016
आज हमारी ओर से एक कार्यक्रम हो रहा है जिसके मुख्य अतिथि हैं-मॉरीशस के उप-राष्ट्रपति परमा शिवम पिल्लई व्यापुरी.साथ में महेन उच्चाना, देविका भाभी, सरिता दीदी और विनोद मिश्र जी भी आए हैं.कुलगीत से हमारे कार्यक्रम का आरंभ हुआ.कुलगीत गाने का दायित्व मुझे मिला था. मेरे साथ करुणा,मधुलिका और मीना भी थी. इसके बाद अ.भा.क.स.के संस्थापक डा. लारी आज़ाद ने अतिथियों को अ.भा.क.स.के उद्देश्य का उल्लेख किया-1-नारी सशक्तीकरण 2- भाषाई सौहार्द्र- राष्ट्रीय - एकता 3- सम्पूर्ण विश्व में शांति का संदेश.मुख्य अतिथि ने मुझे " The Pride Of India "से सम्मानित किया.मॉरीशस में मुझे " मिस हैट्रिक " का सम्मान भी मिला. यह मेरे लिए अभूतपूर्व अनुभव है.अब हम अतिथियों के साथ लंच करने जा रहे हैं,लंच के तुर्ंत बाद हमें एअरपोर्ट की ओर रवाना होना है. हमने पैकिंग की और अपना बैग लेकर बस में आकर बैठ गए हैं. अभी हम " अप्रवासी घाट " जा रहे हैं, यह जगह मुझे अंडमान के सेल्यूलर जेल जैसी लग रही है. ऑखों में ऑसू लेकर हम अपने वतन की ओर लौट रहे हैं.अलविदा मॉरीशस बहुत याद आओगे.
शकुन्तला शर्मा, भिलाई,छत्तीसगढ
आपको बहुत बहुत बधाई..सुंदर यात्रा विवरण !
ReplyDeleteबहुत - बहुत बधाई व शुभकामनाएं...सुंदर यात्रा विवरण, बिलकुल आँखों देखा सा...
ReplyDeleteआपका सादर आभार ।
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