Friday, 8 March 2013

भारत का उन्नयन करेंगें


भारत का  उन्नयन  करेंगें  पुन:  प्रतिष्ठा  पायेंगें
मन मंदिर को स्वच्छ रखेंगें स्वर्ग धरा पर लायेंगें

बड़ी किरकिरी हुई हमारी अब हमने भी सोंच लिया
कर्म   योग   का   पाठ   पढ़ेंगें   भागीरथी  बहायेंगें

उन्नत  खेती  होगी  तो  भरपूर अन्न फिर उपजेगा
भारत स्वाभिमान के पथ पर धर्म घ्वजा फहरायेंगें

शब्दों  की उल्टी  परिभाषा   नहीं करेगा अब कोई
चरैवेति के पथ पर चलकर राम राज्य को लायेंगें

लोकतंत्र के बेइमानों की पोल खोलकर रख दो तुम
सतच्चरित्र  मानुष  को  ही  सिंहासन  पर बैठायेंगें

नहीं कोई जीने देगा तू सोंच समझ कर बोल 'शकुन'
कौए  भीड़ में  आ  आ  करके कोयल को समझायेंगें.

                                                   शकुन्तला शर्मा
                                                   भिलाई.

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