Wednesday, 9 September 2015

तीन गज़ल

              छत्तीसगढ के लोग


सरल - सहज हैं संस्कारी हैं छत्तीसगढ के लोग
संकोची - भोले  अल्हड  हैं छत्तीसगढ  के  लोग ।

बाहर  से जो पहुना आता मान  बहुत  देते  हैं वे
सबको अपना कुटुम मानते छत्तीसगढ के लोग ।

भले  ही कोई करे उपेक्षा लडते नहीं किसी से वे
जान- बूझ कर चुप रहते हैं छत्तीसगढ  के लोग ।

नर  हो  चाहे  नारी  डट  कर  मेहनत  वे करते हैं
पुरुषार्थी  हैं  कर्म - वीर  हैं  छत्तीसगढ  के  लोग ।

मेहनत  करता  है किसान जो भरता सबका पेट
भुइयॉ  के  भगवान  हैं भैया  छत्तीसगढ के लोग ।

यहॉ  की  माटी  मम्हाती है देवदारु चन्दन जैसी
'शकुन' यहीं बस जा अच्छे हैं छत्तीसगढ के लोग ।

       तुम मानो या न मानो

        
 जिसकी लाठी भैंस उसी की तुम मानो या न मानो 
नारी  नहीं  बराबर  नर  के  तुम  मानो  या न मानो ।

उसे कभी विश्राम नहीं है तीज तिहार हो या इतवार 
हाथ - बँटाता  नहीं  है  कोई  तुम  मानो या न मानो ।

इंसाफ  नहीं  होता है दफ्तर में भी उसके साथ कभी
ज़्यादा  क़ाम  दिया  जाता है तुम मानो या न मानो ।

कोई  नहीं  समझता उसको कहने को सब अपने  हैं 
नारी  भी  नारी की दुश्मन है तुम मानो या न मानो ।

'शकुन' कोई तरक़ीब बता वह जीवन सुख से जी ले 
जीवन यह अनमोल बहुत है तुम मानो या न मानो ।

  कौम से कटा हुआ ये जी रहा है कौन 

 

 कौम  से  कटा  हुआ  ये  जी रहा है कौन 
ऑख  में ऑसू  लिए  ये  जी रहा है कौन ? 

आज  बहू - बेटियॉ  रोती  हैं  यहॉ  क्यों 
प्रश्न  उठ रहा है कि रुलाता है उन्हें कौन ? 

रोटी - बना  रही  थी  तो आग लग गई 
गगन  में  गूँजता  है  जला रहा है कौन ?

बेबस को मार के भला तुझे मिलेगा क्या 
अपने ही घर में आग लगा रहा है कौन ?

बेटी को बचा ले 'शकुन' रो  रही  है वह
दुनियॉ में आने से उसे  रोक़ रहा कौन ?



8 comments:

  1. नारी जीवन का सटीक चित्रण...सभी प्रस्तुतियां बहुत सुन्दर...

    ReplyDelete
  2. नारी जीवन का सटीक चित्रण...सभी प्रस्तुतियां बहुत सुन्दर...

    ReplyDelete
  3. वाह..बहुत सुंदर...नारी की वेदना का सही वर्णन किया है आपने शकुंतला जी..

    ReplyDelete
  4. तीनों ही गजल अपने उद्देश्य में , सन्देश देने में सफल प्रतीत होती हैं आदरणीय शकुंतला जी ! बढ़िया लिखा है आपने

    ReplyDelete
  5. पावन छत्तीसगढ़ है, रहते जहाँ किसान।
    पहुना तो भगवान है, जिसका बैल मितान।।

    बहुत सुन्दर सकुन दीदी

    ReplyDelete
  6. पावन छत्तीसगढ़ है, रहते जहाँ किसान।
    पहुना तो भगवान है, जिसका बैल मितान।।

    बहुत सुन्दर सकुन दीदी

    ReplyDelete
  7. पावन छत्तीसगढ़ है, रहते जहाँ किसान।
    पहुना तो भगवान है, जिसका बैल मितान।।

    बहुत सुन्दर सकुन दीदी

    ReplyDelete