एक
इरा ने पाया
आई ए एस वन
सबको भाया ।
दो
कुसुमकली
देख नहीं सकती
कुसुम - कली ।
तीन
अँधी - भैरवी
सुन्दर गाती है
राग - भैरवी ।
चार
सूरदास है
मन से देखने का
एहसास है ।
पॉच
अँधा है पर
तोडता है पत्थर
सडक - पर ।
छः
रानी है नाम
लंगडी है लेकिन
करती - काम ।
सात
गूँगी है गंगा
बरतन धोती है
मन है चँगा ।
आठ
काना - कुमार
झूम - झूम गाता है
मेघ - मल्हार ।
नव
बहरा - राम
दिन भर करता
बढई - काम ।
दस
अंधी है माला
अंधों को पढाती है
माला है शाला ।
ग्यारह
लँगडा - मान
किसानी करता है
नेक - इंसान ।
बारह
बहरा - राम
टोकनी बनाता है
कहॉ - आराम ?
इरा ने पाया
आई ए एस वन
सबको भाया ।
दो
कुसुमकली
देख नहीं सकती
कुसुम - कली ।
तीन
अँधी - भैरवी
सुन्दर गाती है
राग - भैरवी ।
चार
सूरदास है
मन से देखने का
एहसास है ।
पॉच
अँधा है पर
तोडता है पत्थर
सडक - पर ।
छः
रानी है नाम
लंगडी है लेकिन
करती - काम ।
सात
गूँगी है गंगा
बरतन धोती है
मन है चँगा ।
आठ
काना - कुमार
झूम - झूम गाता है
मेघ - मल्हार ।
नव
बहरा - राम
दिन भर करता
बढई - काम ।
दस
अंधी है माला
अंधों को पढाती है
माला है शाला ।
ग्यारह
लँगडा - मान
किसानी करता है
नेक - इंसान ।
बारह
बहरा - राम
टोकनी बनाता है
कहॉ - आराम ?
बहुत भावपूर्ण हाइकू !
ReplyDeleteराजेन्द्र जी ! सादर आभार ।
ReplyDeleteसूरदास है
ReplyDeleteमन से देखने का
एहसास है ।
एक से बढ़कर एक हाइकु ! और ये तो बहुत ही बढ़िया आदरणीय शकुंतला जी
हाइकू लिखना मुझे अब तक नहीं आया...बहुत अच्छा लिखा है अपने।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक हाइकु....
ReplyDeleteप्रेरक
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हाइकू, लिखते हो दी आप।
ReplyDeleteगूँगी गंगा देखलो, करते रामे जाप।।
दीदी आपके हाइकू बहुत ही सार्थक और बहुत ही सुन्दर प्रेरक
Haikoo likhane me koi mukabala nahi hai aapaka. kaushik
ReplyDeleteGanesh
आप लोगों की प्रतिक्रिया मुझे संबल देती है । बहुत - बहुत धन्यवाद,आभार ।
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