Wednesday 2 December 2015

कंस

                    कहानी


नीलू बहुत अच्छी लडकी है । पास - पडोस के सभी लोग उसे बहुत पसन्द करते हैं. वह हमेशा खुश रहती है पर आज वह बहुत खुश है आज उसे उसकी पहली पगार मिली है. वह अपने लिए जेवर खरीदने जा रही है,अपनी शादी की तैयारी कर रही है. वह सोचती है-' मेरी मॉ बिचारी कितना करेगी ?' नीलू के पिता नहीं हैं,पिछले साल दिवंगत हो गए. एक बडा भाई है जो नौकरी करने जाता है और रोज नशे में लडखडाते हुए घर पहुँचता है, उसका नाम किसन है. उसकी शादी हो गई है पर उसकी बीबी अक्सर अपने मायके में ही रहती है. बात भी सही है, जो दिन-रात नशे में रहता हो,अपनी पत्नी को बहन को मारता-पीटता हो उसे कौन पसन्द करेगा ? पत्नी बेचारी भी तो किसी की बेटी है, उसे भी तो शौक लगता होगा कि उसका पति सभ्यता से रहे,कभी-कभी उसे भी घुमाने-फिराने लेकर जाए और सबसे बडी बात अपनी बीबी-बच्चे का ध्यान रखे.

आज नीलु अपने लिए करधन खरीद कर लाई है. अपनी पेटी में रख कर ताला लगा ही रही थी कि उसके भाई ने कहा-' नीलू! इधर आ- देख मैं मछली लाया हूँ,इसको तुरन्त मेरे लिए सब्जी बना दे.' नीलू उस दिन उपवास रखी थी, उसने कहा-' भैया ! आज मेरा उपवास है, मैं आज मछली की सब्ज़ी नहीं बना सकती. मैं तुलसी-चौंरा में दिया बारने जा रही हूँ.'

' देख नीलू ! तू ज्यादा नाटक मत कर, समझी न ! मुझे अभी तुरन्त मछली और भात खाना है, तू अभी इसी वक्त मुझे मछली की सब्ज़ी बना कर दे, वर्ना मैं तुलसी-चौंरा के सामने तुझे जला दूँगा,समझी ?' नीलू ने फिर कहा- 'समझने की कोशिश कर भैया ! आज मेरा उपवास है. तुम क्यों मुझे परेशान कर रहे हो ? आज मैं मछली को हाथ भी नहीं लगाऊँगी, भाभी से रोज-रोज इतना लडते हो,इसीलिए तो वह तुम्हारे साथ रहना पसन्द नहीं करती, मायके चली जाती है. तुम लोग तो अलग रहते हो न! तुम्हारा किचन तो अलग है फिर मुझे क्यों परेशान करते हो ? खुद बना कर खा लो, तुम्हें किसने मना किया है ?'

नीलू की बात सुन कर किसन गुस्से से पागल हो गया और अपनी सगी छोटी-बहन को दौडा-दौडा कर इतना मारा कि वह लहुलुहान हो गई और फिर उसको उठा कर अपने कमरे की ओर ले गया. घंटे भर बाद मोहल्ले में खबर फैल गई कि- नीलू ने आत्महत्या करने की कोशिश की और वह बुरी तरह झुलस गई है. उसके पडोसी  उसे अस्पताल में भर्ती करके आए हैं, तभी पुलिस इन्सपैक्टर भी नीलू का बयान लेने के लिए वहॉ पहुँच गए. डॉक्टर की टीम ने नीलू का उपचार किया पर उन्होंने इन्सपैक्टर से कहा-' इसके बचने की उम्मीद नहीं के बराबर है, आप चाहें तो लडकी का बयान ले सकते हैं.'

नीलू ने अपने बयान में कहा - ' मेरे घरवालों का कोई दोष नहीं है,मैं अपनी मर्जी से आत्महत्या कर रही हूँ.इस घटना की जिम्मेदार मैं खुद हूँ,'

इतना कहते ही नीलू ने दम तोड दिया. दूसरे दिन जब मैं नीलू के घर गई तो उसकी मॉ का रो-रो कर बुरा हाल था. उसने मुझे देखते ही ज़ोर से पकड लिया और बताया-' वोकर कंस भाई हर वोला, नाक-कान के फूटत ले, मोर आघू म मारिस हे बहिनी ! पटक-पटक के मारिस फेर वोला उठा के सुन्ना-कुरिया म ले गे अऊ माटी-तेल डार के  भूँज डारिस. ए दे देख न वोकर पेटी ल !' जैसे ही उस संदूक पर मेरी नज़र पडी,उसका चॉदी का करधन चमक रहा था और एक हरे रंग की नई कमीज़ रखी हुई थी क्योंकि उसके भाई का आज जन्म-दिन है.                                     

5 comments:

  1. आँखें नम कर गयी कहानी...बहुत मार्मिक

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  2. आँखें नम कर गयी कहानी...बहुत मार्मिक

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  3. उफ़..ऐसा क्रूर हृदय..

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