Monday, 23 January 2017

कुण्डली

छन्द की बात अलग है, लिखती - हूँ  मै छन्द     
मिलन की रात विलग है ,मुझे मिला मकरंद।
मुझे- मिला - मकरन्द ,छन्द  में आकर्षण  है
अद्भुत  है आनन्द, छन्द  में  सम - अर्पण है ।
सुरति निरति का कंद,अजब आभास अमल है
लिखती हूँ  मैं छन्द ,छन्द की बात अलग  है ।

शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ

7 comments:

  1. सुंदर शब्दों से सजी कुंडली..

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  2. अनिता जी! बहुत - बहुत आभार । आजकल मैं छंद सीख रही हूँ । ब्लाग में कल पहली बार लिखी हूँ ।

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  3. अनिता जी! बहुत - बहुत आभार । आजकल मैं छंद सीख रही हूँ । ब्लाग में कल पहली बार लिखी हूँ ।

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  4. अनिता जी! बहुत - बहुत आभार । आजकल मैं छंद सीख रही हूँ । ब्लाग में कल पहली बार लिखी हूँ ।

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  5. Aapake liye kuchh bhi likhana aasan aur bhayen hath ķa khel hai. Kaushik Ganesh

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  6. Aapake liye kuchh bhi likhana aasan aur bhayen hath ķa khel hai. Kaushik Ganesh.Madam!Yah Maķarand kaun hai?

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  7. Madam! Blog men pahali bar likhi hooñ. Yah vakya ashuddh hai, shuddh vaķya hoga- chhand likha hai. Kaushik Ganesh

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