छन्द की बात अलग है, लिखती - हूँ मै छन्द
मिलन की रात विलग है ,मुझे मिला मकरंद।
मुझे- मिला - मकरन्द ,छन्द में आकर्षण है
अद्भुत है आनन्द, छन्द में सम - अर्पण है ।
सुरति निरति का कंद,अजब आभास अमल है
लिखती हूँ मैं छन्द ,छन्द की बात अलग है ।
शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ
मिलन की रात विलग है ,मुझे मिला मकरंद।
मुझे- मिला - मकरन्द ,छन्द में आकर्षण है
अद्भुत है आनन्द, छन्द में सम - अर्पण है ।
सुरति निरति का कंद,अजब आभास अमल है
लिखती हूँ मैं छन्द ,छन्द की बात अलग है ।
शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ
सुंदर शब्दों से सजी कुंडली..
ReplyDeleteअनिता जी! बहुत - बहुत आभार । आजकल मैं छंद सीख रही हूँ । ब्लाग में कल पहली बार लिखी हूँ ।
ReplyDeleteअनिता जी! बहुत - बहुत आभार । आजकल मैं छंद सीख रही हूँ । ब्लाग में कल पहली बार लिखी हूँ ।
ReplyDeleteअनिता जी! बहुत - बहुत आभार । आजकल मैं छंद सीख रही हूँ । ब्लाग में कल पहली बार लिखी हूँ ।
ReplyDeleteAapake liye kuchh bhi likhana aasan aur bhayen hath ķa khel hai. Kaushik Ganesh
ReplyDeleteAapake liye kuchh bhi likhana aasan aur bhayen hath ķa khel hai. Kaushik Ganesh.Madam!Yah Maķarand kaun hai?
ReplyDeleteMadam! Blog men pahali bar likhi hooñ. Yah vakya ashuddh hai, shuddh vaķya hoga- chhand likha hai. Kaushik Ganesh
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