Saturday, 22 April 2017

धरा दिवस है आज

                            कुण्डलियाँ

 धारण करती है धरा, नमन करो तुम आज
कृतज्ञता मन में धरो, समझे सकल समाज ।
समझे-सकल समाज, रो रही धरती - माता
धरा - दिवस में आज, पुत्र मन को तरसाता ।
हरियाली है - ढाल, धरा - बरबस - कहती है
समझो - मेरा - हाल, धरा - धारण करती है ।

पुन: बचाओ यह धरा, अनगिन - अत्याचार
जय - चन्दों की फौज है, बेबस हर - सरकार ।
बेबस हर सरकार, समझ फिर आया - गोरी
पृथ्वी - की फिर - हार, चाँद से कहे - चकोरी ।
कहाँ - गए कवि  राज, चन्द बरदायी आओ
धरा  दिवस पर आज, धरा को पुन: बचाओ ।

शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ





1 comment:

  1. धरा दिवस पर शुभकामनायें ! सुंदर रचना..बधाई शकुंतला जी !

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