गौतम तुम चिन्तन की गहराई लेकर
ज्ञान - मार्ग में प्रवृत्त हो गए ।
तुमने संसार को नई दृष्टि दी,
तुमने हमें बताया कि हम सम्पूर्ण हैं ।
हमें कहीं जाने की आवश्यकता नही,
तुम्हारा वह मूल - मंत्र हमें याद है -
" अप्प दीपो भव ।"
अपना दीपक तुम स्वयं बनो ।
कहीं कुछ खोजने की आवश्यकता नहीं है,
जो भी पाना चाहते हो, अपने आप से पाओ ।
यही तो है "अहं ब्रह्मास्मि" का सत्य ।
शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ
ज्ञान - मार्ग में प्रवृत्त हो गए ।
तुमने संसार को नई दृष्टि दी,
तुमने हमें बताया कि हम सम्पूर्ण हैं ।
हमें कहीं जाने की आवश्यकता नही,
तुम्हारा वह मूल - मंत्र हमें याद है -
" अप्प दीपो भव ।"
अपना दीपक तुम स्वयं बनो ।
कहीं कुछ खोजने की आवश्यकता नहीं है,
जो भी पाना चाहते हो, अपने आप से पाओ ।
यही तो है "अहं ब्रह्मास्मि" का सत्य ।
शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ
सत्य कहा -अपने अस्तित्व में विश्वास करो !सुन्दर ,उत्तम विचार ,आभार। "एकलव्य"
ReplyDeleteधन्यवाद ! ध्रुव जी । आभार ।
Deleteआभार, धन्यवाद ।
ReplyDeleteइतने कम शब्दों में भी एक गहन अर्थ छिपा हुआ है इस सुन्दर रचना के लिये जीवनसूत्र का अभिवादन स्वीकार करें
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