Thursday, 8 February 2018

होरी

          रोला छंद - 11/ 13

नटवर - नागर - नँद, आज हमरो - घर आबे
नानुक हावय काम, कहूँ - बोचक झन जाबे।
नइ आबे तव देख, तोर मयँ चुगली करिहवँ
तयँ अस माखनचोर, तोर दायी ला कइहवँ।

सुन तो नटवर - आज, रास मा सब्बो  रइहीं
तयँ हर बनबे श्याम, शकुन हर गोपी बनही।
मुरली - धर तयँ आज, छोड के मुरली आबे
गरगस लागय बोल, होंठ मा झनिच लगाबे।

होरी मा सुन - श्याम, मारबे झन पिचकारी
लुगरा के बड दाम, अबड - कन  देहीं - गारी।
कुमकुम बढिया - रँग, लगा दे नटवर  रोरी
मन मा भरे - उमँग, मना लेतेन - हम होरी।

सुरता आथे रास, अबड सुख लागिस मोला
बाजिस अनहद नाद, शकुन के तरगे चोला।
तहीं - सच्चिदानँद, भाग ले पा - गयँ तोला
पाहवँ - परमानँद, शरण मा ले - ले मोला ।

शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ  

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