Monday, 4 March 2019

जयकरी छंद - 15/ 15 - गुरु - लघु

देश-  हमारा हिन्दुस्तान, सदियों से है यही महान
देश - धर्म का करते गान, देश हेतु हाज़िर है जान।

जननी जन्मभूमि वरदान, यह है सद्भावों की खान
हम सब हैं इसकी संतान, हिंदू मुसलमान दें ध्यान।

गंग - जमुन की पावन धार, वैतरणी कर लेते - पार
घाटी में है रूप - अपार, केशर की खुशबू - भरमार।

प्रेम रूप में अद्भुत - ताज, करता दुनियाँ भर में राज
भोरमदेव में होता आज, कामदेव का कामुक काज।

काश्मीर में फैली - आग,  बना पडोसी ही खुद नाग
गाता रहता है वह राग, बिगड गया है उसका पाग।

यह - धरती मेरा - परिवार, लडने में दोनों - की हार
समझाते - हम बारम्बार, फिर उसको पडती है मार।

तीजन का पांचाली गान, बडा लोक - प्रिय है अभियान
कई - किस्म के होते धान, हमको है इस पर अभिमान।

शिव के जल तरंग की तान, सुनती है दुनियाँ अनजान
कल्हण का साहित्य - महान, शव में भर देता है प्राण।

बाबा - राम - देव का योग, भारत यह सुन्दर - संजोग
मिट - जाता मानव का रोग, शकुन योग के पीछे भोग।

भारत - पर हमको अभिमान, इससे - अपनी है पहचान
इस जीवन का ध्येय महान, करें देश हित हम वलिदान।

शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ





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