Friday, 5 September 2014

शिक्षक - दिवस

शिक्षक कुम्हार गीली मिट्टी को
             देता  है सुन्दर - तम आकार ।
क्षणिक भले वह दुख देता हो
             पर  करता  हम  पर उपकार ।
ष्ट  उठा - कर दीक्षा  देता
              जीवन  समुचित  गढता  है ।
दिन रात साधना वह करता
               तभी शिष्य आगे बढता  है ।
ह अपना कर्तव्य समझ कर
                अपना दायित्व निभाता है ।
म्यक रूप आकार प्राप्त कर
                 राष्ट्र  तभी  गौरव  पाता है ।
शकुन्तला शर्मा , भिलाई , मो.09302830030     

2 comments:

  1. दिन रात साधना वह करता
    तभी शिष्य आगे बढता है ।
    वह अपना कर्तव्य समझ कर
    अपना दायित्व निभाता है ।

    शिक्षक समाज के लिए एक मशाल के समान है...शिक्षक दिवस पर शुभकामनायें !

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  2. शिक्षक गढ़ता है कच्ची मिटटी से शिष्य को !
    सार्थक रचना !

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