क्यों घर में नौकरानी सी पल रही है बेटी
लडकी है लकडी जैसी क्यों जल रही है बेटी ?
संवेदना कहॉ है यह क्या हुआ मनुज को
बेबस सी रात-दिन यूँ क्यों रो रही है बेटी ?
भर-पेट रोटियॉ भी मिलती कहॉ है उसको
बाज़ार में खडी है रोटी के लिए बेटी ।
हर घर में असुर बैठा है नोचने को आतुर
जाए तो कहॉ जाए यह सोच रही बेटी ।
बेटी को दो सुरक्षा बेटे से कम नहीं वह
मॉ-बाप का सहारा खुद बन रही है बेटी ।
शकुन्तला शर्मा , भिलाई , मो. 09302830030
लडकी है लकडी जैसी क्यों जल रही है बेटी ?
संवेदना कहॉ है यह क्या हुआ मनुज को
बेबस सी रात-दिन यूँ क्यों रो रही है बेटी ?
भर-पेट रोटियॉ भी मिलती कहॉ है उसको
बाज़ार में खडी है रोटी के लिए बेटी ।
हर घर में असुर बैठा है नोचने को आतुर
जाए तो कहॉ जाए यह सोच रही बेटी ।
बेटी को दो सुरक्षा बेटे से कम नहीं वह
मॉ-बाप का सहारा खुद बन रही है बेटी ।
शकुन्तला शर्मा , भिलाई , मो. 09302830030
हाँ विचारणीय
ReplyDeleteबेटियों को सुरक्षा मिले..उन्हें आगे बढने का अवसर मिले...
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