Wednesday, 24 December 2014

अभिनन्दन - अटल बिहारी वाजपेयी

देश हित में जिसने अपना घर ही नहीं बसाया
अटल जी के कर्म - योग को प्रणाम करती हूँ ।

आज़ादी  के  बाद भी तो जेल जाना पडा उन्हें
उनके  देश - प्रेम  को  सादर नमन करती  हूँ ।

संयुक्त राष्ट्र संघ में भी हिंदी को अलंकृत किया 
उस  कवि का  मैं बार - बार वन्दन करती  हूँ ।

देश - हित में आज जो अटल दिया जल रहा है
उस अखण्ड ज्योति को सौ-सौ नमन करती हूँ ।

Friday, 19 December 2014

नमामि गङ्गे

जिस नदिया की पूजा करते वह पूजा है अभी - अधूरी
अस्थि - विसर्जन करना  छोडें तब ही होगी पूजा पूरी ।

नारी  देवी  है  कहते  हैं  पर अब  भी शोषण करते हैं
राक्षस बन जाता  है  प्राणी मुँह में राम बगल में छूरी ।

गङ्गा-जल पावन होता था हमने नाली उसे बनाया
आज भी कूडा- फेंक रहे  हैं  मुँह में राम बगल में छूरी ।

मातृभूमि का गौरव गाते पर गरिमा का भाव कहॉ है
गुटका खा- कर थूक रहे  हैं मुँह में राम बगल में छूरी ।

देश  स्वच्छ  करना  है  हमको अब आई  है मेरी बारी
यह जल्दी से नहीं हुआ तो होगी फिर यह हार हमारी ।  

Saturday, 13 December 2014

विकलॉग - विमर्श - हाइकू

        एक
सूरदास है
मन से देखने का
एहसास है ।

        दो
अँधी  - भैरवी
सुन्दर गाती है ।
राग - भैरवी ।

      तीन
कुसुम - कली
देख नहीं सकती
कुसुम - कली ।

     चार
अँधा है पर
तोडता है पत्थर
सडक - पर ।

    पॉच
रानी है नाम
लंगडी  है लेकिन
करती - काम ।

     छः
गूँगी है गंगा
बरतन धोती है
मन है चंगा ।

   सात
काना - कुमार
झूम झूम गाता है
मेघ - मल्हार ।

   आठ
बहरा - राम
दिन भर करता
बढई - काम ।

    नव
अँधी है माला
अँधों को पढाती है
माला है शाला ।

    दस
लँगडा - मान
किसानी करता है
नेक - इन्सान ।

  ग्यारह
बहरा राम
टोकनी बनाता है
कहॉ आराम ?

शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ. ग.