देश हित में जिसने अपना घर ही नहीं बसाया
अटल जी के कर्म - योग को प्रणाम करती हूँ ।
आज़ादी के बाद भी तो जेल जाना पडा उन्हें
उनके देश - प्रेम को सादर नमन करती हूँ ।
संयुक्त राष्ट्र संघ में भी हिंदी को अलंकृत किया
उस कवि का मैं बार - बार वन्दन करती हूँ ।
देश - हित में आज जो अटल दिया जल रहा है
उस अखण्ड ज्योति को सौ-सौ नमन करती हूँ ।
अटल जी के कर्म - योग को प्रणाम करती हूँ ।
आज़ादी के बाद भी तो जेल जाना पडा उन्हें
उनके देश - प्रेम को सादर नमन करती हूँ ।
संयुक्त राष्ट्र संघ में भी हिंदी को अलंकृत किया
उस कवि का मैं बार - बार वन्दन करती हूँ ।
देश - हित में आज जो अटल दिया जल रहा है
उस अखण्ड ज्योति को सौ-सौ नमन करती हूँ ।
अटल बिहारी का व्यक्तित्व ही अनूठा था...सम्मान इन्हें पा कर धन्य हुआ...
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