एक
सूरदास है
मन से देखने का
एहसास है ।
दो
अँधी - भैरवी
सुन्दर गाती है ।
राग - भैरवी ।
तीन
कुसुम - कली
देख नहीं सकती
कुसुम - कली ।
चार
अँधा है पर
तोडता है पत्थर
सडक - पर ।
पॉच
रानी है नाम
लंगडी है लेकिन
करती - काम ।
छः
गूँगी है गंगा
बरतन धोती है
मन है चंगा ।
सात
काना - कुमार
झूम झूम गाता है
मेघ - मल्हार ।
आठ
बहरा - राम
दिन भर करता
बढई - काम ।
नव
अँधी है माला
अँधों को पढाती है
माला है शाला ।
दस
लँगडा - मान
किसानी करता है
नेक - इन्सान ।
ग्यारह
बहरा राम
टोकनी बनाता है
कहॉ आराम ?
शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ. ग.
सूरदास है
मन से देखने का
एहसास है ।
दो
अँधी - भैरवी
सुन्दर गाती है ।
राग - भैरवी ।
तीन
कुसुम - कली
देख नहीं सकती
कुसुम - कली ।
चार
अँधा है पर
तोडता है पत्थर
सडक - पर ।
पॉच
रानी है नाम
लंगडी है लेकिन
करती - काम ।
छः
गूँगी है गंगा
बरतन धोती है
मन है चंगा ।
सात
काना - कुमार
झूम झूम गाता है
मेघ - मल्हार ।
आठ
बहरा - राम
दिन भर करता
बढई - काम ।
नव
अँधी है माला
अँधों को पढाती है
माला है शाला ।
दस
लँगडा - मान
किसानी करता है
नेक - इन्सान ।
ग्यारह
बहरा राम
टोकनी बनाता है
कहॉ आराम ?
शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ. ग.
तभी तो कहते हैं ये विशेष योग्य हैं...
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