Wednesday, 22 July 2015

वसुधा है परिवार हमारा

कर्म - योग  की  महिमा - अद्भुत  कर्मानुरूप मिलता है फल
शुभ - कर्मों  का  फल  भी शुभ है आज नहीं तो निश्चय कल ।

परमात्मा  है  सब के  भीतर  हम - सब हैं उसकी - सन्तान
हमसे अलग  नहीं  है  वह  भी  सबके  मन  में  है  भगवान ।

सत्पथ - पर  हम  चलते जायें मञ्जिल हमें ज़रूर मिलेगी
भले ही रात अमावस की हो सुबह कमल की कली खिलेगी ।

सर्व - व्याप्त  है  वह  परमात्मा  वह  ही  है  प्राणों  का प्राण
मेरे - मुख  से  वह  कहता  है  सबके - मन  में  है भगवान ।

वसुधा  है  परिवार - हमारा आओ  निज कर्तव्य - निभायें
पर - हित  में  ही  हित  है  मेरा यही बात सबको समझायें ।

मानव जीवन अति दुर्लभ है यह प्रभु की सुन्दरतम रचना
तुम  सबको  सुख  देते  रहना  पर - पीडा  से  बचते रहना ।

प्रेम  में  बसता  है  परमात्मा  प्रेम  ही है उसकी - पहचान
सभी  परस्पर - प्रेम  करें  हम  सबके  मन  में है भगवान ।

कण - कण में है वास प्रभु का वह सब  कर्मों का  साक्षी है
प्रेम का पाठ - पढाता सबको घट - घट का वह ही वासी है ।

कर्म - प्रधान विश्व यह अद्भुत इसकी महिमा को हम जानें
सबके - सुख  की  बात  करें हम सबकी पीडा को पहचानें ।

दिव्य - गुणों  का  वह  स्वामी  है देता है सब को अनुदान
भाव  का  भूखा  वह  परमात्मा सबके मन में है भगवान ।

सहज  सरल व्यवहार हमारा परमात्मा को प्यारा लगता
वह भी उसको दण्डित करता जब अपनों को कोई ठगता ।

मन  में उज्ज्वल - भाव  सदा हो जीवन बन जाए वरदान
सत्पथ - पर  हम चलें निरन्तर सबके मन में है भगवान ।

अमर है आत्मा परमात्मा  भी काया है सबकी - नाशवान
इससे  स्वयं - सिद्ध  होता  है  सबके - मन में  है भगवान ।

2 comments:

  1. मन में उज्ज्वल - भाव सदा हो जीवन बन जाए वरदान
    सत्पथ - पर हम चलें निरन्तर सबके मन में है भगवान ।

    सुंदर भाव ..

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  2. मनमें उज्ज्वल भाव हो, बन जाये वरदान।
    चले निरन्तर प्रेम पथ, मनमें हो भगवान।।

    शानदार दीदी बहुत खूब

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