कर्म - योग की महिमा - अद्भुत कर्मानुरूप मिलता है फल
शुभ - कर्मों का फल भी शुभ है आज नहीं तो निश्चय कल ।
परमात्मा है सब के भीतर हम - सब हैं उसकी - सन्तान
हमसे अलग नहीं है वह भी सबके मन में है भगवान ।
सत्पथ - पर हम चलते जायें मञ्जिल हमें ज़रूर मिलेगी
भले ही रात अमावस की हो सुबह कमल की कली खिलेगी ।
सर्व - व्याप्त है वह परमात्मा वह ही है प्राणों का प्राण
मेरे - मुख से वह कहता है सबके - मन में है भगवान ।
वसुधा है परिवार - हमारा आओ निज कर्तव्य - निभायें
पर - हित में ही हित है मेरा यही बात सबको समझायें ।
मानव जीवन अति दुर्लभ है यह प्रभु की सुन्दरतम रचना
तुम सबको सुख देते रहना पर - पीडा से बचते रहना ।
प्रेम में बसता है परमात्मा प्रेम ही है उसकी - पहचान
सभी परस्पर - प्रेम करें हम सबके मन में है भगवान ।
कण - कण में है वास प्रभु का वह सब कर्मों का साक्षी है
प्रेम का पाठ - पढाता सबको घट - घट का वह ही वासी है ।
कर्म - प्रधान विश्व यह अद्भुत इसकी महिमा को हम जानें
सबके - सुख की बात करें हम सबकी पीडा को पहचानें ।
दिव्य - गुणों का वह स्वामी है देता है सब को अनुदान
भाव का भूखा वह परमात्मा सबके मन में है भगवान ।
सहज सरल व्यवहार हमारा परमात्मा को प्यारा लगता
वह भी उसको दण्डित करता जब अपनों को कोई ठगता ।
मन में उज्ज्वल - भाव सदा हो जीवन बन जाए वरदान
सत्पथ - पर हम चलें निरन्तर सबके मन में है भगवान ।
अमर है आत्मा परमात्मा भी काया है सबकी - नाशवान
इससे स्वयं - सिद्ध होता है सबके - मन में है भगवान ।
शुभ - कर्मों का फल भी शुभ है आज नहीं तो निश्चय कल ।
परमात्मा है सब के भीतर हम - सब हैं उसकी - सन्तान
हमसे अलग नहीं है वह भी सबके मन में है भगवान ।
सत्पथ - पर हम चलते जायें मञ्जिल हमें ज़रूर मिलेगी
भले ही रात अमावस की हो सुबह कमल की कली खिलेगी ।
सर्व - व्याप्त है वह परमात्मा वह ही है प्राणों का प्राण
मेरे - मुख से वह कहता है सबके - मन में है भगवान ।
वसुधा है परिवार - हमारा आओ निज कर्तव्य - निभायें
पर - हित में ही हित है मेरा यही बात सबको समझायें ।
मानव जीवन अति दुर्लभ है यह प्रभु की सुन्दरतम रचना
तुम सबको सुख देते रहना पर - पीडा से बचते रहना ।
प्रेम में बसता है परमात्मा प्रेम ही है उसकी - पहचान
सभी परस्पर - प्रेम करें हम सबके मन में है भगवान ।
कण - कण में है वास प्रभु का वह सब कर्मों का साक्षी है
प्रेम का पाठ - पढाता सबको घट - घट का वह ही वासी है ।
कर्म - प्रधान विश्व यह अद्भुत इसकी महिमा को हम जानें
सबके - सुख की बात करें हम सबकी पीडा को पहचानें ।
दिव्य - गुणों का वह स्वामी है देता है सब को अनुदान
भाव का भूखा वह परमात्मा सबके मन में है भगवान ।
सहज सरल व्यवहार हमारा परमात्मा को प्यारा लगता
वह भी उसको दण्डित करता जब अपनों को कोई ठगता ।
मन में उज्ज्वल - भाव सदा हो जीवन बन जाए वरदान
सत्पथ - पर हम चलें निरन्तर सबके मन में है भगवान ।
अमर है आत्मा परमात्मा भी काया है सबकी - नाशवान
इससे स्वयं - सिद्ध होता है सबके - मन में है भगवान ।
मन में उज्ज्वल - भाव सदा हो जीवन बन जाए वरदान
ReplyDeleteसत्पथ - पर हम चलें निरन्तर सबके मन में है भगवान ।
सुंदर भाव ..
मनमें उज्ज्वल भाव हो, बन जाये वरदान।
ReplyDeleteचले निरन्तर प्रेम पथ, मनमें हो भगवान।।
शानदार दीदी बहुत खूब