मुंशी प्रेमचंद
मुंशी प्रेमचंद कह हम तुम्हें पुकारते हैं
नमक का दरोगा हमें याद बहुत आता है ।
शील दया करुणा सभी गुणों के स्वामी तुम
कर्मभूमि - पथ का पाथेय बन जाता है ।
प्रेम - पगे शब्द तेरे अजर - अमर हुए
होरी धनिया के साथ साथ हम चलते हैं ।
मन में मगन इतिहास रच गए हो तुम
पंच परमेश्वर की खाला को याद करते हैं ।
चंदा - चॉदनी में तुम आज भी चमकते हो
बूढी काकी आज हमें रास्ता दिखाती है ।
दस - दफा पढी ईदगाह की वही कहानी
हामिद के चिमटे की याद बहुत आती है ।
प्रेमचन्द की पावन स्मृति दिलाती सुंदर रचना
ReplyDeleteमुंशी प्रेमचंद जी को बहुत सुन्दर काव्यमय श्रद्धांजलि...
ReplyDeleteक्या बात है दीदी मुंशी प्रेमचन्द ऊपर सार्थक काव्यांस
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