दोहे - 13/11
शरद - पूर्णिमा ने कहा. प्यारे - भारत - वर्ष
तन मन में शुचिता रखो, तब होगा उत्कर्ष।
सावधान होकर सुनो, साफ - स्वच्छ हो देश
महके - तालों में कमल, पावन हो परि वेश।
पडोसियों की चाल को, करो - सदा नाकाम
मधुर भाव सबसे रखो, कहो सिया- वर राम।
देश - देव सबसे - बडा, कहो शकुन भगवान
उसकी गरिमा जान लो, करो उसी का गान।
आपस में तुम मत लडो, करो परस्पर प्यार
प्रगति - पंथ पर देश को, पहुँचाओ हर बार।
तोड - फोड जो देश में, करे अगर दो - दण्ड
अपराधों की - श्र्रँखला, तोडो शीघ्र - प्रचण्ड ।
देश - धर्म की जीत हो, जपो यही शुभ - मंत्र
सुनो सदा सुख से रहो, अमर रहे गण - तंत्र।
अमृत - कलश थमा दिया, धर लो हिंदुस्तान
पुन: विश्व- गुरु तुम बनो, देती हूँ वर - दान ।
शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ
शरद - पूर्णिमा ने कहा. प्यारे - भारत - वर्ष
तन मन में शुचिता रखो, तब होगा उत्कर्ष।
सावधान होकर सुनो, साफ - स्वच्छ हो देश
महके - तालों में कमल, पावन हो परि वेश।
पडोसियों की चाल को, करो - सदा नाकाम
मधुर भाव सबसे रखो, कहो सिया- वर राम।
देश - देव सबसे - बडा, कहो शकुन भगवान
उसकी गरिमा जान लो, करो उसी का गान।
आपस में तुम मत लडो, करो परस्पर प्यार
प्रगति - पंथ पर देश को, पहुँचाओ हर बार।
तोड - फोड जो देश में, करे अगर दो - दण्ड
अपराधों की - श्र्रँखला, तोडो शीघ्र - प्रचण्ड ।
देश - धर्म की जीत हो, जपो यही शुभ - मंत्र
सुनो सदा सुख से रहो, अमर रहे गण - तंत्र।
अमृत - कलश थमा दिया, धर लो हिंदुस्तान
पुन: विश्व- गुरु तुम बनो, देती हूँ वर - दान ।
शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ
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