असत् त्याग सत पथ पर जायें
तम को त्याग ज्योति बिखरायें ।
हम सब मिलकर फिर यह गायें
बुध्दम् शरणम् गच्छामि ।
मानव तन सार्थक हो अपना
हम सबका है एक ही सपना ।
परम पिता को हम पा जायें
बुध्दम् शरणम् गच्छामि ।
पर - उपकार हो जीवन मेरा
प्रतिदिन हो फिर नया सवेरा ।
पावन - प्रेम में सभी नहायें
बुध्दम् शरणम् गच्छामि ।
संघम् शरणम् गच्छामि ।
धम्म्म् शरणम् गच्छामि ।
शकुन्तला शर्मा , भिलाई [छ ग ]
श्री लंका प्रवास में बुद्ध मंदिर में |
भगवान बुद्ध को नमन..आभार!
ReplyDeleteदिल को छू गई सुप्रभात
ReplyDeleteनिःशब्द करती
मध्म मार्ग को सुलझा पायें,
ReplyDeleteबुद्धं शरणं गच्छामि।