सरगुजा में एक - संगवारी है पर उसके नही हैं दोनों हाथ
वैसे तो हम दूर - दूर हैं पर मन से रहते हैं साथ - साथ ।
वह भट - गॉव में रहती है और टुकनी - रोज - बनाती है
दोनों - पॉवों को हाथ बना - कर मेहनत करके खाती है ।
उस - लडकी का नाम है लाजो अम्मा के साथ में रहती है
मॉ - बेटी मेहनत - करती हैं जीवन की गाडी - चलती है ।
आज तो लाजो सोच - रही है टुकनी को देना है - आकार
सजा - धजा कर पेश - करेगी तब ही होगा बेडा - पार ।
सूपा - डलिया सभी - बनाया चटक - रंग से उसे सजाया
हाथों - हाथ बिका था सब कुछ लाजो का मन भर आया ।
रात के पीछे दिन - आता है दिन के पीछे - आती है रात
एक - एक दिन करते - करते बीत - गई कितनी बरसात ।
लाजो की फैक्ट्री है सुन्दर चलता - रहता दिन भर -काम
माल धडाधड बिक - जाता है फैक्ट्री लेती नहीं - विराम ।
ललित - नाम का एक लडका है वह फैक्ट्री में मैनेजर है
लाजो उसके मन में बसती बात अभी बस मन में है ।
ललित आज लाजो से मिलने एक गुलाब -लेकर आया है
लाल - रंग का वह गुलाब है लाजो का मन हर्षाया है ।
रास - बरग मिल गया है उनका बस होने वाली है शादी
सम्हर - पखर कर रहते दोनों गहना लेकर आई - दादी ।
लाजो ने मेहनत से पाया जीवन में एक नया - मुक़ाम
तुम भी मेहनत करके देखो दोनों मिलता है माया - राम ।
वैसे तो हम दूर - दूर हैं पर मन से रहते हैं साथ - साथ ।
वह भट - गॉव में रहती है और टुकनी - रोज - बनाती है
दोनों - पॉवों को हाथ बना - कर मेहनत करके खाती है ।
उस - लडकी का नाम है लाजो अम्मा के साथ में रहती है
मॉ - बेटी मेहनत - करती हैं जीवन की गाडी - चलती है ।
आज तो लाजो सोच - रही है टुकनी को देना है - आकार
सजा - धजा कर पेश - करेगी तब ही होगा बेडा - पार ।
सूपा - डलिया सभी - बनाया चटक - रंग से उसे सजाया
हाथों - हाथ बिका था सब कुछ लाजो का मन भर आया ।
रात के पीछे दिन - आता है दिन के पीछे - आती है रात
एक - एक दिन करते - करते बीत - गई कितनी बरसात ।
लाजो की फैक्ट्री है सुन्दर चलता - रहता दिन भर -काम
माल धडाधड बिक - जाता है फैक्ट्री लेती नहीं - विराम ।
ललित - नाम का एक लडका है वह फैक्ट्री में मैनेजर है
लाजो उसके मन में बसती बात अभी बस मन में है ।
ललित आज लाजो से मिलने एक गुलाब -लेकर आया है
लाल - रंग का वह गुलाब है लाजो का मन हर्षाया है ।
रास - बरग मिल गया है उनका बस होने वाली है शादी
सम्हर - पखर कर रहते दोनों गहना लेकर आई - दादी ।
लाजो ने मेहनत से पाया जीवन में एक नया - मुक़ाम
तुम भी मेहनत करके देखो दोनों मिलता है माया - राम ।
जब मन में किसी कार्य को करने की लगन हो तो शारीरिक अक्षमता कोई अर्थ नहीं रखती. नमन है ऐसी विभूतियों को जो अपनी शारीरिक कमियों को अपनी शक्ति बना लेते हैं. बहुत ही प्रभावी और प्रेरक प्रस्तुति. नमन आपकी लेखनी को इन प्रेरक विभूतियों से परिचय करवाने के लिए.
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