समाधान बन जाए ज़िंदगी, हे भगवन दे - दो वर-दान
यही ज़िन्दगी बने बन्दगी, विनती सुन लो हे भगवान ।
काल - देव तुम मुझे बताओ, क्या है जीवन का आधार
पहिली से तुम मुझे पढाओ, पा -जाऊँ जीवन का सार ।
एक - एक दिन करके पूरा, अपना जीवन जाता बीत
फिर भी है यह काम अधूरा, नहीं जानता क्या है गीत।
धूप - छाँव में जीवन जाता, चलते - चलते थकता पाँव
राह भटक कर रोता - गाता, नहीं पहुँचता अपने गाँव ।
हरियाली है सब को प्यारी, वही बुलाती अपने - पास
पर - हरियाली है बेचारी, रखना - पडता है उप- वास ।
भूखी - प्यासी हुई अध-मरी, कैसे - दे वह पावन - प्रान
मति बेचारी हुई सिर फिरी, क्या जाने वह प्राण उदान ।
असमञ्जस की पीडा - भारी, तुम्हीं बचाओ हे भगवान
समाधान की दो फुल- वारी, यही माँगते हैं अनु - दान ।
कहाँ जा रही है यह दुनियाँ, तुम्हीं बनाओ नवा - विधान
मुर्झाती हैं नन्हीं_ कलियाँ, उन्हें बचाओ दया - निधान ।
गो - माता की हत्या - रोको, गाय बचे - कैसे गो - पाल
चक्र - सुदर्शन से अब टोको, बचे अवध्या दीन- दयाल ।
शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ
मो.- 93028 30030
यही ज़िन्दगी बने बन्दगी, विनती सुन लो हे भगवान ।
काल - देव तुम मुझे बताओ, क्या है जीवन का आधार
पहिली से तुम मुझे पढाओ, पा -जाऊँ जीवन का सार ।
एक - एक दिन करके पूरा, अपना जीवन जाता बीत
फिर भी है यह काम अधूरा, नहीं जानता क्या है गीत।
धूप - छाँव में जीवन जाता, चलते - चलते थकता पाँव
राह भटक कर रोता - गाता, नहीं पहुँचता अपने गाँव ।
हरियाली है सब को प्यारी, वही बुलाती अपने - पास
पर - हरियाली है बेचारी, रखना - पडता है उप- वास ।
भूखी - प्यासी हुई अध-मरी, कैसे - दे वह पावन - प्रान
मति बेचारी हुई सिर फिरी, क्या जाने वह प्राण उदान ।
असमञ्जस की पीडा - भारी, तुम्हीं बचाओ हे भगवान
समाधान की दो फुल- वारी, यही माँगते हैं अनु - दान ।
कहाँ जा रही है यह दुनियाँ, तुम्हीं बनाओ नवा - विधान
मुर्झाती हैं नन्हीं_ कलियाँ, उन्हें बचाओ दया - निधान ।
गो - माता की हत्या - रोको, गाय बचे - कैसे गो - पाल
चक्र - सुदर्शन से अब टोको, बचे अवध्या दीन- दयाल ।
शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ
मो.- 93028 30030
अतिसुंदर भाव भरी विनती..आभार !
ReplyDeleteधन्यवाद अनिता जी ।
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