Sunday 19 March 2017

आल्हा

समाधान बन जाए ज़िंदगी, हे  भगवन दे - दो वर-दान
यही ज़िन्दगी बने बन्दगी, विनती सुन लो हे भगवान ।

काल - देव तुम मुझे बताओ, क्या है जीवन का आधार
पहिली से तुम मुझे पढाओ, पा -जाऊँ जीवन का सार ।

एक - एक दिन करके पूरा, अपना जीवन जाता बीत
फिर भी है यह काम अधूरा, नहीं जानता क्या है गीत।

धूप - छाँव में जीवन जाता, चलते - चलते थकता पाँव
राह भटक कर रोता - गाता, नहीं पहुँचता अपने गाँव ।

हरियाली  है सब को प्यारी, वही  बुलाती अपने - पास
पर - हरियाली  है बेचारी, रखना - पडता  है उप- वास ।

भूखी - प्यासी हुई अध-मरी, कैसे - दे वह पावन - प्रान
मति बेचारी हुई सिर फिरी, क्या जाने वह प्राण उदान ।

असमञ्जस की पीडा - भारी, तुम्हीं बचाओ हे भगवान
समाधान की दो फुल- वारी, यही माँगते हैं अनु - दान ।

कहाँ जा रही है यह दुनियाँ, तुम्हीं बनाओ नवा - विधान
मुर्झाती हैं नन्हीं_ कलियाँ, उन्हें बचाओ दया - निधान ।

गो - माता की हत्या - रोको, गाय बचे - कैसे गो - पाल
चक्र - सुदर्शन से अब टोको, बचे अवध्या दीन- दयाल ।

शकुन्तला शर्मा, भिलाई, छ्त्तीसगढ
मो.- 93028 30030

2 comments:

  1. अतिसुंदर भाव भरी विनती..आभार !

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