Friday, 7 October 2011

लाल बहादुर शास्त्री


लाल बहादुर नाम तुम्हारा  तुम  तो थे गुदड़ी के लाल
ललक कर सिंहासन संभाला  सबका रखा तुमने ख्याल।
बडे़ जतन से देश  बचाया  दिया था ध्यान स्वदेशी पर
हाशिया दिखाया विदेशियों को उनका अन्न आया धर।
दुनियॉं देखी  फिर हुंकारा जय जवान और जय किसान
रहे  बेखबर तुम लोगों ने  छल से  लिए  तुम्हारे प्राण।

शकुन्तला शर्मा
288/7 मैत्रीकुंज भिलाई
अचल 0788 2227477 चल 09302830030

3 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति
    परिवार सहित ..दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं


    संजय भास्कर
    आदत....मुस्कुराने की
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com/

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  2. बहुत सुन्दर रचना

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    1. हेम भाई ! मोर ब्लॉग म तोर स्वागत हे ग । मोर संगवारी मन नेट म नई बैठयँ तेकर सेती मोला कहूँ कमेंट घलाव नई करयँ, का करबे ? तोला बहुत - बहुत धन्यवाद बाबू ।

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