लाल बहादुर नाम तुम्हारा तुम तो थे गुदड़ी के लाल
ललक कर सिंहासन संभाला सबका रखा तुमने ख्याल।
बडे़ जतन से देश बचाया दिया था ध्यान स्वदेशी पर
हाशिया दिखाया विदेशियों को उनका अन्न न आया धर।
दुनियॉं देखी फिर हुंकारा जय जवान और जय किसान
रहे बेखबर तुम लोगों ने छल से लिए तुम्हारे प्राण।
शकुन्तला शर्मा
288/7 मैत्रीकुंज भिलाई
अचल 0788 2227477 चल 09302830030
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteपरिवार सहित ..दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं
संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
http://sanjaybhaskar.blogspot.com/
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteहेम भाई ! मोर ब्लॉग म तोर स्वागत हे ग । मोर संगवारी मन नेट म नई बैठयँ तेकर सेती मोला कहूँ कमेंट घलाव नई करयँ, का करबे ? तोला बहुत - बहुत धन्यवाद बाबू ।
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