Saturday, 15 October 2011

चार वेद

विद्यानिधि से श्रेष्‍ठ कुछ नहीं
इससे परे नहीं है सुख
विद्या से ही संभव होता
सत्य सनातन संतति सुख
ऋग्वेद
ऋग्वेद सदृश हो उत्तम वाणी
यजुर्वेद सम उज्ज्वल मन
सामवेद सम प्राण हो प्रांजल
अथर्ववेद सम हो यह तन
यजुर्वेद
मेध दामिनी जल बरसाते
वे ही अन्न हमें देते हैं
यज्ञ हवन प्रतिदिन करके हम
इनको ही भोजन देते हैं
सामवेद
भू पर वेद ज्ञान से पूरित
                                             रहें सूर्यसम नित आलोकित
                                         चतुर्शक्तियॉं वर्धित होतीं
                                             प्रसन्नचित हम रहें प्रतिष्ठित ।
                                           अथर्ववेद

शकुन्तला शर्मा
288/7 मैत्रीकुंज
भिलाई ..
अचल 0788 2227477 चल 09302830030

17 comments:

  1. बहुत बढिया।

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  2. बहुत सराहनीय पोस्ट ! आभार !

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  3. बहुत सुंदर सन्देश देती हुई रचना वेदों के बारे में आभार

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  4. आदरणीय शकुंतला जी ज्ञान वर्धक पोस्ट ..सुन्दर.... .वेदों की याद आज के युग में .... ..बधाई हो
    भ्रमर ५

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  5. विद्यानिधि से श्रेष्ट कुछ नहीं
    इससे परे नहीं है सुख !
    बिलकुल सही कहा है ! विद्या के साथ विनय भी
    हो तो विध्या सार्थक होती है ! चार वेदों के बारे में
    बहुत बढ़िया लिखा है ! आभार मेरे ब्लॉग पर स्वागत है !

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  6. वेदों के बारे में अच्छी जानकारी देती सुन्दर पोस्ट ...



    कृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .

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  7. वेदों का ज्ञानदर्शन इस प्रस्तुति में बहुत सराहनीय है. बधाई.

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  8. शकुन्‍तलाजी, बहुत अच्‍छा सृजन, बधाई।

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  9. वेदों के बारे में बढ़िया लिखा है !

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  10. वेदों का ज्ञानदर्शन..बहुत सराहनीय पोस्ट ! आभार !

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  11. बहुत सुन्दर और ज्ञानवर्धक...

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  12. प्रांजल पोस्ट वेदों की खूबसूरती से रुबारु करवाती .बधाई इस अति -सुन्दर मनोहर प्रस्तुति के लिए .

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  13. भू पर वेद ज्ञान से पूरित
    रहें सूर्यसम नित आलोकित ।
    चतुर्शक्तियॉं वर्धित होतीं
    प्रसन्नचित हम रहें प्रतिश्ठित।

    बहुत बढ़िया.....

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  14. बहुत सुन्दर प्रस्तुति, आभार .


    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें.

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  15. वेदों का ज्ञानदर्शन बहुत सराहनीय है

    संजय भास्कर
    आदत....मुस्कुराने की
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com/

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  16. वेदों का ज्ञानदर्शन इस प्रस्तुति में बहुत सराहनीय है.
    पहली बार आपके पोस्ट पे आया ! आपके सारे पोस्ट भी पढ़े
    बहुत ही अच्छा कार्य कर रही हैं आप! और हम सब का यही कर्म भी होना चाहिए देश की सोयी जनता को जगाना
    तथा सत्य का पथ अंगीकार करने को प्रेरित करना !
    क्यों की सत्य ही एक ऐसी ताकत है जिसके द्वारा आप अच्छे अच्छों को आप परास्त कर सकते हैं
    आपको तथा आपके परिवार को दिवाली की शुभ कामनाएं!

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  17. वेदों पर इतने अच्‍छे विचार भेजने के लिए आपको बहुत धन्‍यवाद

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