Friday, 7 October 2011

मोहनदास करमचंद गांधी

मोहनदास  करमचंद  गांधी  यही  था उनका  पूरा  नाम
हर घड़ी सोचते  मातृभूमि  हित कब पूरा होगा यह काम।
 तलवार  बरछी से ही बिन  हिंसा  के  हों  आजाद
दास नहीं हम  अंग्रेजों के  सत्याग्रह  से  होंगे  आबाद।
समरथ को फिर साथ मिला  आजाद भगत थे तिलक बोस
कर्मयोग था लक्ष्य देह का यात्रा  थी लंबी  अनगिन  कोस।
रत रहे निरंतर राष्‍ट्रयज्ञ में स्वजनों का  सुन्दर  था  साथ
मन का मन से ही नाता था जन मन को फिर किया सनाथ।
चंबा  से  फिर  रामेश्वर  तक  सत्याग्रह  अभियान  चला
दधीचि सदृश उत्सर्ग हो गए यह थी उनकी जीने की कला।
गांधी का वह  चरखा  अब भी तो देशी का पाठ पढ़ाता है
धीर वीर हो कर  उभरो वह  हर पल  हमें  सिखाता है

शकुन्तला शर्मा
288/7 मैत्रीकुंज भिलाई ..
अचल 0788 2227477 चल 09302830030

2 comments:

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  2. Dadiji,... Saadar charan sparsh,

    today i was reading your poetries. I feel absolutely overwhelmed.
    I salute your contribution towards our motherland.
    "Maatridevo Bhavah "

    All those creative literatures you wrote, were just phenomenal.

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