Saturday, 11 April 2015

मन भर खीर - सोंहारी खाओ

सुकमा जिले में रहती  सरला पर वह बोल  नहीं  पाती  है
पर उसके  हाथ में जादू  है वह  खुमरी - सुघर  बनाती  है ।

दायी के साथ लगी रहती  है  छोटी  है  मेहनत - करती है
नवमी - कक्षा  में  पढती  है  घर आ कर खुमरी  बुनती है ।

बस्तर  में  बस्तर  के  बाहर  खुमरी  बहुत लोक - प्रिय है
खुमरी  सब  से बढिया - रक्षक  मॉग - बढेगी  निश्चित  है ।

छतरी - टोपी का विकल्प यह कितना  सुन्दर  दिखता है
आकर्षित  करता  वह  सबको और धडल्ले से  बिकता  है ।

एक - एक दिन  करते - करते  बीत  गई कितनी बरसात
सरला  ने  फैक्ट्री - डाली है खुमरी बनता दिन और - रात ।

घर  की  हालत  हुई - सुनहरी हँसता है वह घर चुप - चाप
सरला  भी  हँसती रहती पर निपट - अकेली अपने - आप ।

सावन उसका सह - पाठी  है  फैक्ट्री  में वह करता - काम
उन  दोनों का घर आस - पास  है दोनों का है  'स' से  नाम ।

सावन - सरला एक - दूजे को करते  हैं  मन  ही मन प्यार
चुगल - खोर  हैं  ऑखें उनकी  कर  बैठी  हैं  अब - इज़हार ।

'शबरी' नदिया की कल कल भी जान गई है प्यार की बात
दौड - दौड कर सबसे - कहती  प्यार  की  बातें सारी - रात ।

सरला - सावन के बिहाव में तुम भी आमन्त्रित हो आओ
खुमरी का आनन्द - उठाओ मन भर खीर -सोंहारी खाओ ।

2 comments:

  1. वाह...बहुत प्रभावी रचना..

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