पटाया - तट - पर देखा मैंने लडकी मजे से तैर रही है
जब मैं उसके पास गई तो देखा वह लडकी लंगडी है ।
बैंकाक की वही जल - परी पाती है अनगिन सम्मान
ज़ेन नाम है उस - बच्ची का अभी हुई उससे पहचान ।
जब मैं उसके पास गई तब पास आई तैरते - तैरते
दोनों - हाथ जुडे थे उसके किया नमस्ते हँसते - हँसते ।
प्रतिदिन तीन- चार घंटे वह स्वीमिंग का करती अभ्यास
ओलम्पिक में मैडल लाना है ऐसा है उसको - विश्वास ।
मैं भी सुन कर दंग रह गई ज़ेन की उमर है सोलह साल
पर कर रही तपस्या ऐसी मन में अनगिन कठिन सवाल ।
ज़ेन की जिजीविषा है ऐसी जो क़मज़ोरी पर भारी है
ओलम्पिक में जाए न जाए बहुत है अब तक जो पाई है ।
दया कर रही थी मैं उस पर उसने मुझे किया विषयान्तर
'यह तो कुछ भी नहीं है ऑटी ' समझाया था ऐसा कहकर ।
तन पर मन पडता है भारी ज़ेन ने ही मुझको समझाया
मन मेरा कितना अतुल्य है मुझको आज समझ में आया ।
जब मैं उसके पास गई तो देखा वह लडकी लंगडी है ।
बैंकाक की वही जल - परी पाती है अनगिन सम्मान
ज़ेन नाम है उस - बच्ची का अभी हुई उससे पहचान ।
जब मैं उसके पास गई तब पास आई तैरते - तैरते
दोनों - हाथ जुडे थे उसके किया नमस्ते हँसते - हँसते ।
प्रतिदिन तीन- चार घंटे वह स्वीमिंग का करती अभ्यास
ओलम्पिक में मैडल लाना है ऐसा है उसको - विश्वास ।
मैं भी सुन कर दंग रह गई ज़ेन की उमर है सोलह साल
पर कर रही तपस्या ऐसी मन में अनगिन कठिन सवाल ।
ज़ेन की जिजीविषा है ऐसी जो क़मज़ोरी पर भारी है
ओलम्पिक में जाए न जाए बहुत है अब तक जो पाई है ।
दया कर रही थी मैं उस पर उसने मुझे किया विषयान्तर
'यह तो कुछ भी नहीं है ऑटी ' समझाया था ऐसा कहकर ।
तन पर मन पडता है भारी ज़ेन ने ही मुझको समझाया
मन मेरा कितना अतुल्य है मुझको आज समझ में आया ।
तन पर मन पडता है भारी ज़ेन ने ही मुझको समझाया
ReplyDeleteमन मेरा कितना अतुल्य है मुझको आज समझ में आया ।
...बिलकुल सच...अंतस को छूती बहुत प्रेरक प्रस्तुति...