Thursday, 10 November 2011

ढाई आखर

तुम्‍हारे अनुग्रह से
आज ऑंसुओं में डूब कर
मैं अनुभव कर रही हूँ
प्रेम की उस पीर का
जिसे मैंने कभी हँस हँस कर पढ़ा था।
थाह लगाने की सोंचना नासमझी है
उस ढाई आखर की गहराई का
फिर भी मैं उसका
अ अनार का पढ़ने में लगी हूं।

तुम्‍हारे द्वारा प्रदत्‍त  यह अनुभव
मेरे लिये ब्रम्‍हानन्‍द है
क्‍योंकि मेरे ब्रम्‍ह तो तुम्‍ही हो
और सच कहूं तो
तुम्‍ही मेरे सर्वस्‍व हो।

तुम्‍हारे गहन नयन मेरी मृग-मरिचिका हैं
परिणाम से परिचित हूं
फिर भी यह अनन्‍त नित नूतन
अनमोल भाव परित्‍याज्‍य नहीं है
प्रबलतम प्‍यास है
पढ़ने का प्रयास है
ढाई आखर ........

Saturday, 15 October 2011

चार वेद

विद्यानिधि से श्रेष्‍ठ कुछ नहीं
इससे परे नहीं है सुख
विद्या से ही संभव होता
सत्य सनातन संतति सुख
ऋग्वेद
ऋग्वेद सदृश हो उत्तम वाणी
यजुर्वेद सम उज्ज्वल मन
सामवेद सम प्राण हो प्रांजल
अथर्ववेद सम हो यह तन
यजुर्वेद
मेध दामिनी जल बरसाते
वे ही अन्न हमें देते हैं
यज्ञ हवन प्रतिदिन करके हम
इनको ही भोजन देते हैं
सामवेद
भू पर वेद ज्ञान से पूरित
                                             रहें सूर्यसम नित आलोकित
                                         चतुर्शक्तियॉं वर्धित होतीं
                                             प्रसन्नचित हम रहें प्रतिष्ठित ।
                                           अथर्ववेद

शकुन्तला शर्मा
288/7 मैत्रीकुंज
भिलाई ..
अचल 0788 2227477 चल 09302830030

चिंतन

जो जैसा चिंतन करता है वैसा ही फल पाता है | 
मुझे ऐसा लगता है कि पवित्रता-पूर्ण चिंतन,
मनुष्‍य को आत्म-साक्षात्कार
तक खुद--खुद पहुँचा देता हैं।

Friday, 7 October 2011

मातृदेवो भव


नारी ऐसी गाय है जो दूध तो देती है मगर
वंश बढ़ाती है हमें याद रखना चाहिए।
पुरुश के साथ वह हल में जुती हुई है
तिरस्कार कोड़े से उसे बचाना चाहिए।
अपनी मॉं पिता का घर छोड़ के जो आ गई है
ऐसी बहू रानी का सम्मान होना चाहिए ।
लक्ष्मीबाई किरनबेदी जैसी बेटी पाना हो तो
बहू को सदा सिर ऑंखों पर बिठाना चाहिए।
मातृदेवो भव कह श्र्रुति समझा रही है
माता ही तो देवी है हमें समझना चाहिए।
लोक परलोक दोनों उसी के चरण में है
हमें फिर इधर उधर नहीं भटकना चाहिए।

शकुन्तला शर्मा
288/7 मैत्रीकुंज भिलाई छ.ग.
अचल 0788 2227477 चल 09302830030

मोहनदास करमचंद गांधी

मोहनदास  करमचंद  गांधी  यही  था उनका  पूरा  नाम
हर घड़ी सोचते  मातृभूमि  हित कब पूरा होगा यह काम।
 तलवार  बरछी से ही बिन  हिंसा  के  हों  आजाद
दास नहीं हम  अंग्रेजों के  सत्याग्रह  से  होंगे  आबाद।
समरथ को फिर साथ मिला  आजाद भगत थे तिलक बोस
कर्मयोग था लक्ष्य देह का यात्रा  थी लंबी  अनगिन  कोस।
रत रहे निरंतर राष्‍ट्रयज्ञ में स्वजनों का  सुन्दर  था  साथ
मन का मन से ही नाता था जन मन को फिर किया सनाथ।
चंबा  से  फिर  रामेश्वर  तक  सत्याग्रह  अभियान  चला
दधीचि सदृश उत्सर्ग हो गए यह थी उनकी जीने की कला।
गांधी का वह  चरखा  अब भी तो देशी का पाठ पढ़ाता है
धीर वीर हो कर  उभरो वह  हर पल  हमें  सिखाता है

शकुन्तला शर्मा
288/7 मैत्रीकुंज भिलाई ..
अचल 0788 2227477 चल 09302830030

लाल बहादुर शास्त्री


लाल बहादुर नाम तुम्हारा  तुम  तो थे गुदड़ी के लाल
ललक कर सिंहासन संभाला  सबका रखा तुमने ख्याल।
बडे़ जतन से देश  बचाया  दिया था ध्यान स्वदेशी पर
हाशिया दिखाया विदेशियों को उनका अन्न आया धर।
दुनियॉं देखी  फिर हुंकारा जय जवान और जय किसान
रहे  बेखबर तुम लोगों ने  छल से  लिए  तुम्हारे प्राण।

शकुन्तला शर्मा
288/7 मैत्रीकुंज भिलाई
अचल 0788 2227477 चल 09302830030

स्वदेशी

गरीब हो रहा है हिन्‍दुस्तान देखो इसीलिए
देश की पूँजी को देश में ही रहना चाहिए।

कोलगेट पेप्सोडेंट छोड़ दो विदेशी हैं ये
विदेशी वस्तुओं का बहिश्कार होना चाहिए।


देशी वस्तुओं का करें सभी उपभोग यहॉं
पेप्सी कोकाकोला हमें नहीं पीना चाहिए।
माटी महिमा से सँवर जाएगा हिन्‍दुस्तान
देशी वस्तुयें हमें स्वीकार्य होना चाहिए।

यदि हम चाहते हैं भारत विश्व -गुरू बने
अपनी संस्कृति पर हमें नाज होना चाहिए।

स्विसबैंक में जो बेईमानों का पैसा रखा है
तुरत हाथों-हाथ हमें वापस लाना चाहिए।

गाय नहीं होगी तो गोपाल कहॉं होंगे फिर
गौ-माता के हित में विचार होना चाहिए।

गाय दीन-हींन है किसान खेत जर्जर हैं।
गाय ही समृद्धि है समझ लेना चाहिए ।

शकुन्तला शर्मा