सरदार थे तुम आगे रहते थे तुम सम दूजा नहीं हुआ
रत रह कर तुम सदा सोचते आज़ाद हो जायें करो दुआ ।
दास नहीं हम फिरंगियों के जननी को हमें बचाना होगा
रस आएगा जीने में जब धरती - गगन हमारा होगा ।
वल्लभ - भाई बडे साहसी सब रियासतों को एक किया
लगन लगी थी आज़ादी की आज़ादी का अभिषेक किया ।
भव्य बने अपना भारत यह संकल्प यही था उनको भाता
भारत मॉ का उज्ज्वल ऑचल महिमा मण्डित हो जाता ।
ईश्वर को यह मञ्जूर न था भारत - निर्माण न हो पाया
पर सोमनाथ सम्पूर्ण हुआ उन्हें महाकाल लेने आया ।
टेक लिया माथा शिव सम्मुख वह स्वर्ग धाम में चले गए
लगता है तुम वापस आए हो संकल्प निभाने नए - नए ।
रत रह कर तुम सदा सोचते आज़ाद हो जायें करो दुआ ।
दास नहीं हम फिरंगियों के जननी को हमें बचाना होगा
रस आएगा जीने में जब धरती - गगन हमारा होगा ।
वल्लभ - भाई बडे साहसी सब रियासतों को एक किया
लगन लगी थी आज़ादी की आज़ादी का अभिषेक किया ।
भव्य बने अपना भारत यह संकल्प यही था उनको भाता
भारत मॉ का उज्ज्वल ऑचल महिमा मण्डित हो जाता ।
ईश्वर को यह मञ्जूर न था भारत - निर्माण न हो पाया
पर सोमनाथ सम्पूर्ण हुआ उन्हें महाकाल लेने आया ।
टेक लिया माथा शिव सम्मुख वह स्वर्ग धाम में चले गए
लगता है तुम वापस आए हो संकल्प निभाने नए - नए ।