Sunday, 5 October 2014

वृन्दावनी

आज की व्यस्तता के इस युग में, मनुष्य मशीन की तरह हो गया है । वह हर समय थकान का अनुभव करता है और थोडी - थोडी देर में हर - समय, चाय - कॉफी की चुस्की लेता रहता है । वह फायदा - नुकसान के विषय में नहीं सोचता, पर कुछ लोग चाय - कॉफी या ठण्डा नहीं पीते, वे बेचारे क्या करते होंगे ? मैं भी चाय - कॉफी - ठण्डा नहीं पीती हूँ । मैं "वृन्दावनी" पीती हूँ । मेरे बगीचे में, तुलसी के लगभग 50 - 60 पौधे हैं । दो - चार पौधे तो हर घर में होते हैं, आप भी इनकी सँख्या आसानी से बढा सकते हैं और आप भी "वृन्दावनी " पी सकते हैं । इसे बनाना बडा सरल है, बस दूध में चाय - पत्ती या कॉफी के बदले, अदरक और तुलसी कूट - कर डाल दीजिए । थोडी देर उबलने दीजिए और जब दूध का रँग हल्का हरा हो जाए तो इसे छान - कर गरमा - गरम पी लीजिए ।

वृन्दावनी, आरोग्य - वर्धक तो है ही , यह बहुत स्वादिष्ट भी होती है । इसका नाम - करण, " वृन्दावनी " इसलिए किया गया कि "वृन्दा " तुलसी का ही पर्यायवाची शब्द है । " वृन्दावनी " का आनन्द ऐसा है कि पीने वाले को सीधे वृन्दावन से जोडता है । हो गया न ! मन वृन्दावन ?        

1 comment:

  1. हम भी पीते हैं कभी कभी

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