सरदार थे तुम आगे रहते थे तुम सम दूजा नहीं हुआ
रत रह कर तुम सदा सोचते आज़ाद हो जायें करो दुआ ।
दास नहीं हम फिरंगियों के जननी को हमें बचाना होगा
रस आएगा जीने में जब धरती - गगन हमारा होगा ।
वल्लभ - भाई बडे साहसी सब रियासतों को एक किया
लगन लगी थी आज़ादी की आज़ादी का अभिषेक किया ।
भव्य बने अपना भारत यह संकल्प यही था उनको भाता
भारत मॉ का उज्ज्वल ऑचल महिमा मण्डित हो जाता ।
ईश्वर को यह मञ्जूर न था भारत - निर्माण न हो पाया
पर सोमनाथ सम्पूर्ण हुआ उन्हें महाकाल लेने आया ।
टेक लिया माथा शिव सम्मुख वह स्वर्ग धाम में चले गए
लगता है तुम वापस आए हो संकल्प निभाने नए - नए ।
रत रह कर तुम सदा सोचते आज़ाद हो जायें करो दुआ ।
दास नहीं हम फिरंगियों के जननी को हमें बचाना होगा
रस आएगा जीने में जब धरती - गगन हमारा होगा ।
वल्लभ - भाई बडे साहसी सब रियासतों को एक किया
लगन लगी थी आज़ादी की आज़ादी का अभिषेक किया ।
भव्य बने अपना भारत यह संकल्प यही था उनको भाता
भारत मॉ का उज्ज्वल ऑचल महिमा मण्डित हो जाता ।
ईश्वर को यह मञ्जूर न था भारत - निर्माण न हो पाया
पर सोमनाथ सम्पूर्ण हुआ उन्हें महाकाल लेने आया ।
टेक लिया माथा शिव सम्मुख वह स्वर्ग धाम में चले गए
लगता है तुम वापस आए हो संकल्प निभाने नए - नए ।
लौह पुरुष को शत शत नमन...
ReplyDeleteनमन...
ReplyDeleteशत शत नमन...
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - बृहस्पतिवार- 30/10/2014 को
हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः 41 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,
धन्यवाद !
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