गत - आगत को भूलो भैया वर्तमान में जियो निरन्तर
एक भी पल यदि चूक गए तो हो सकते हैं हम विषयांतर ।
वर्तमान ही वन्दनीय है यह सचमुच अपना लगता है
वर्तमान से विमुख हुआ जो उसको पछताना पडता है ।
पल - पल कर के बीत रहा है मूल्यवान यह मेरा जीवन
वर्तमान को जिसने जीता उसका जीवन है एक उपवन ।
देर हो गई बहुत सखी पर आओ हम पल - पल को जी लें
वर्तमान के इस गागर में आओ अमृत भर - कर पी लें ।
एक भी पल यदि चूक गए तो हो सकते हैं हम विषयांतर ।
वर्तमान ही वन्दनीय है यह सचमुच अपना लगता है
वर्तमान से विमुख हुआ जो उसको पछताना पडता है ।
पल - पल कर के बीत रहा है मूल्यवान यह मेरा जीवन
वर्तमान को जिसने जीता उसका जीवन है एक उपवन ।
देर हो गई बहुत सखी पर आओ हम पल - पल को जी लें
वर्तमान के इस गागर में आओ अमृत भर - कर पी लें ।
बहुत खूब !! मंगलकामनाएं आपको !
ReplyDeleteवर्तमान ही वन्दनीय है -हाँ अतीतजीविता से बचना चाहिए
ReplyDeleteबहुत सही कहा है...परमात्मा सदा वर्तमान में ही मिलता है..
ReplyDeleteशकुंतला जी, यात्रा वृतांत पर आपका स्वागत है
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